अध्याय 1 के श्लोकों को तो आपने विस्तारपूर्वक पहले के कोर्सेज में पढ़ा और समझा है। फिर इस कोर्स में खास क्या है? मन भूलता है और दोहराते रहना आवश्यक है। पहला अध्याय धृतराष्ट्र, दुर्योधन और अर्जुन की समस्या के ही बारे में है। जैसे वेदव्यास जी ने पहले ही सबके मन का हाल हमें बता दिया हो। आचार्य प्रशांत जी ने बहुत रोचक तरीके से पहला अध्याय को ४ भागों में विभाजित किया है। यूं कहें कि चार समस्या निम्नलिखित हैं–
अब समस्या है तो समाधान गीता ही है। मगर ऐसा क्यों? क्योंकि मूल समस्या हमेशा वृत्ति के तल पर ही होगी। दुनिया का समस्या का समाधान आत्मा ही है। आज की कोई समस्या नई नहीं है क्योंकि वृत्ति नई नहीं है। इसलिस समाधान है गीता। वृत्ति को आत्मा ही मिटाएगी। क्योंकि वृत्ति तड़प ही आत्मा के लिए रही है।
अगर पुराने कोर्सेज आपने देखे होंगे तो बात कुछ गहरा रही होगी। और अगर आप नए हैं और नहीं समझ आ रहा है तो तैयार हो जाएंँ। यह कोर्स आपकी दुविधा को तुरंत दूर करेगा।
आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।