content home
लॉगिन करें

स्वार्थ या प्रेम: संबंध कैसे होते हैं

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 18 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
3 घंटे 54 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडियोज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

इस श्लोक में श्रीकृष्ण का रहे हैं —

न कर्मानुष्ठान से उसे कोई मतलब है, न कर्मत्याग से। फिर, “ऐसे मनुष्य के लिए संसार में किसी प्रयोजन की सिद्धि हेतु आश्रय करने योग्य भी कुछ नहीं है।”

माने किसी के साथ उसका स्वार्थ सम्बन्ध नहीं है। ये नहीं कहा है कि दुनिया में किसी से सम्बन्ध ही नहीं है, कहा है कि किसी से भी स्वार्थ सम्बन्ध नहीं है। समझो!

जब आपके पास बड़ी कामनाएँ रहती हैं न तो आपको झुकना पड़ता है। कृष्ण यहाँ पर कह रहे हैं, ‘जो ऐसा हो जाता है जैसा मैं बता रहा हूँ, उस आदमी को अब ज़िंदगी में कभी झुकना नहीं पड़ता, उसे किसी का आश्रय नहीं लेना पड़ता।’ क्यों? क्योंकि उसके पास कोई स्वार्थ नहीं है तो वो अपना मालिक स्वयं होता है, वो किसी दूसरे के आश्रय के नीचे नहीं रहता।

कामनाएँ बुरी नहीं है। लेकिन वह आपकी संभावना को रोक देती हैं। आप कुछ बहुत बड़े हो सकते थे लेकिन छोटे छोटे सुख के चक्कर में आपने आनंद को खो दिया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें