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जगत कल्याण के लिए आपको करुणा को जिताना होगा

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 25 पर आधारित
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2 घंटे 33 मिनट
हिन्दी
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परिचय
लाभ
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हे अर्जुन! कर्म में आसक्त होकर अज्ञानी लोग जिस तीव्रता से कर्म करते हैं, ज्ञानी को अनासक्त रहकर जगत के कल्याण हेतु उसी तीव्रता के साथ कर्म करना चाहिए।

अर्जुन से आज एक सवाल करा है कृष्ण ने, सलाह दी है, उस सलाह को सवाल समझिएगा। सवाल यही है — ‘वो अपने स्वार्थ के लिए इतना कुछ कर सकता है, तुम निस्वार्थ होकर क्यों नहीं कर सकते? वो व्यक्तिगत कामना हेतु इतना कुछ कर सकता है, तुम जगत-कल्याण हेतु कुछ क्यों नहीं कर सकते?

ज़्यादातर लोग चूँकि अपनी कामना को जिताने के लिए जीते हैं। इसलिए इस जगत में तो कामना का ही साम्राज्य है। और अगर तुम चाहते हो कि इस जगत में करुणा का साम्राज्य हो, कल्याण का साम्राज्य हो, तो जितना मोह एक झूठे आदमी को अपनी झूठी कामना से होता है, उससे ज़्यादा प्रेम एक सच्चे आदमी को अपनी सच्चाई से करना पड़ेगा। यही बात तय करेगी कि जीतेगा कौन। आप ही हैं जो जिताएंगे।

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