स्पष्ट सी बात है कि कुरुक्षेत्र जीवन क्षेत्र है। नहीं तो फिर गीता बहुत सीमित वक्तव्य हो जाएगा अगर गीता की उपयोगिता सिर्फ़ तब है जब किसी को तीर, गदा, बाण लेकर मारना है तो फिर तो गीता की उपयोगिता पूरी ज़िन्दगी में दो-चार दिन की होगी। क्योंकि आम आदमी दो-चार दिन से ज़्यादा तो कहीं लड़ाई-झगड़ा करता नहीं। लेकिन गीता की उपयोगिता तो प्रतिपल है, इसका मतलब वो जो कुरुक्षत्र है, वो जिस लड़ाई को इंगित कर रहा है, वो कौनसी लड़ाई है? वो भीतरी लड़ाई है जो लगातार चलती रहती है और वही लड़ाई निरंतर है। अगर वो लड़ाई निरंतर है तो फिर गीता की उपयोगिता भी निरंतर है।
आम जिंदगी में यही सवाल हमें परेशान करते हैं – पूजा की क्या विधियांँ रखें? ईष्ट देव का पूजन करें या कृष्ण को भजें? क्या धर्मग्रंथ जातिप्रथा का समर्थन करते हैं?
इन सब प्रश्नों का अर्थ जानेंगे इस सरल से कोर्स में।
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