आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
content home
लॉगिन करें

विद्या और विनय सीखो अर्जुन

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 5 श्लोक 18 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
2 घंटे 46 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

श्रीकृष्ण को भी वही भाषा का प्रयोग करना पड़ता है जिस भाषा का प्रयोग हम पहले से करते आ रहे हैं। हम यह इसलिए करते हैं क्योंकि अहंकार को चोट लगती है मानने में की कृष्ण तो हमारे जैसे ही हैं। भला श्रीकृष्ण और मुझमें क्या अंतर। इसलिए गीता का शाब्दिक अर्थ बिना वेदांत के छत्रछाया में कर देते हैं और यह महापाप है।

इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने विद्या और विनय की बात की है। उपनिषद् कहते हैं संसार का ज्ञान होना अविद्या है और अहंकार का ज्ञान होना विद्या है। दुनिया के बारे में तो हम खूब जानते हैं और चतुराई भी दिखाते हैं लेकिन अपना कुछ भी ज्ञात नहीं होता। अविद्या तो खूब है लेकिन विद्या का हमें कुछ भी पता नहीं है।

कैसे जानें क्या है विद्या? कौन है जो विद्या लेने योग्य है? कैसे प्राप्त हो आत्मज्ञान?

इन सब का उत्तर श्रीकृष्ण ने दिया है इस श्लोक में।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें