लड़ाई ना करने के पीछे असली कारण क्या है ? मोह। लेकिन दर्शा यूँ रहे हैं जैसे लड़ाई ना करने के पीछे असली कारण है धर्म। सीधे कहना कि, 'मोहग्रस्त हूँ', बड़ी लज्जा की बात हो जाती। और अगर मान ही लिए कि 'मोहग्रस्त हूँ' तो मोह से आगे जाना पड़ता है, मोह का उल्लंघन करना पड़ता है; तो इसीलिए मोह की बात ही नहीं करेंगे। हम सब बहुत चतुर लोग हैं, हम बात किसी और चीज़ की करेंगे कि "देखो बात मोह की नहीं है, बात सिद्धांतों की है।" हमारे सारे सिद्धांत, हमारी सारी विचार–धाराएँ, हमारे सारे तर्क बस हमारी वृत्तियों के ऊपर का एक नक़ाब होते हैं।
दुर्योधन एक निम्न चेतना का व्यक्ति है, जो काम वो कर रहा है अगर वही हमने भी कर दिया तो हम भी उसी के स्तर के हो जाएँगे, तो इसीलिए हमें लड़ाई नहीं करनी चाहिए। आप देख रहे हैं आदमी के अंतर्जगत की जटिलता को ? आपके उद्देश्य पहले बनते हैं और फिर उन उद्देश्यों को सत्यापित करने के लिए, वैध ठहराने के लिए, आप तर्क का निर्माण कर लेते हैं, और ये बात स्वयं आपको भी नहीं पता है।
आचार्य प्रशांत संग हम जानेंगे अध्याय 2 में क्या पूछ रहे हैं अर्जुन और क्या कह रहे हैं कृष्ण।
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