इस कोर्स में बात हुई है ब्राह्मी स्थिति की। कृष्ण कहते हैं कि यदि आपने ब्राह्मी स्थिति को पा लिया तो पूरे जीवन काल में आप मोहित नहीं होंगे।
मगर यह ब्राह्मी स्थिति पाएंँ कैसे? कैसे समझे ब्राह्मी स्थिति को?
याद करते हैं, पिछले श्लोक में श्रीकृष्ण ने बताया था कि कामना और वासना विषयों को लेकर के और भीतरी तौर पर अहंता और ममता यानि अहम् और मम् को जो एक साथ त्यागता है वह शांति को पाता है।
मगर आप और हम यह बखूबी जानते हैं कि जब जीवन में छोटा बड़ा नुकसान हो रहा हो या जीवन का ही नुकसान हो रहा हो अर्थात् मृत्यु ही क्यों न सामने हो हम कांप जाते हैं। भीतर है एक मम का जानवर जो चिल्ला देता है।
फिर क्या करें ऐसा की मम् का जानवर आवाज न करे? क्या करें कि हम भी ब्राह्मी स्थिति को पा सकें? क्या यह संभव है?
अगर कृष्ण हुए हैं तो इसे भी संभव होना पड़ेगा। कृष्ण का होना ही प्रमाण हैं, गुरु का होना ही प्रमाण है।
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