आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
content home
लॉगिन करें

आत्मा के वश में हो जाओ प्रकृति तुम्हारे वश में हो जाएगी अर्जुन

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 64 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
2 घंटे 15 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

पिछले कोर्स में हमने जाना कि इंद्रियों को संयत करना लाभकारी है लेकिन वह भी आखिरी बात नहीं है। संयत इंद्रिय का मतलब यह नहीं होता कि वह डरा डरा हुआ घूम रहा है कि कहीं कोई ग़लत विचार न आ जाए।

फिर प्रश्न आता है– तब क्या करें? यह खेल, यह माजरा है क्या?

खेल सारा इसी सवाल का है कि मालिक कौन है? अब सुनिए, श्रीकृष्ण कहते हैं कि अहम् प्रकृति के क्षेत्र में जी भर के यात्रा कर सकता है जब मालिक आत्मा है।

समझते हैं, अध्यात्म पलायन नहीं है, अध्यात्म संसार से ऐसा रिश्ता रखने की कला है जिसमें आप मूर्ख ना बनें। नहीं तो संसार मूर्ख बहुत बनाता है। जो जगत है, इसमें जो कुछ है उसका उपभोग तो करोगे ही – ये प्राकृतिक व्यवस्था है। नहीं मिला तो रो नहीं रहे हैं, और मिल गया तो डर नहीं रहे हैं, कि ‘अरे! हमें मिल गया है, हमने कोई अपराध तो नहीं कर दिया?’ नहीं था तो नहीं था, है तो है। उसके होने में जैसा भाव रख रहे हैं, उसके खोने में भी वैसा ही भाव रखेंगे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें