आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
content home
लॉगिन करें

पाने की बात नहीं है, दाँव पर लगाना ज़रूरी है

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 20–23 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
2 घंटे 32 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

जो प्रचलित धारणा है दुर्भाग्य से कि अध्यात्म में आकर तो आदमी उदासीन हो जाता है, कई लोगों को लगता है कि अकर्मण्य हो जाता है, निकम्मा, तो वो धारणा बिल्कुल-बिल्कुल गलत है; सच्चाई उससे बिल्कुल उलट है। अध्यात्म तो आलसी को भी कर्मनिष्ठ बना दे। कृष्ण की पूरी सीख ही यही है—रुकना मत चलते जाना, बढ़ते जाना, लड़ते जाना। तुम्हारा काम है बढ़ते रहना, लड़ते रहना।

सारा अध्यात्म इसी एक शब्द में सिमटकर आ जाता है निष्कामता। और निष्कामता माने इतना ही नहीं होता कि माँगा नहीं या चाहा नहीं, निष्कामता माने होता है जान लगा दी बिना चाहे।

क्या बात है! चाहिए कुछ नहीं लेकिन जान लगा दी है। किस बात के लिए? वो तुम नहीं समझोगे। वो समझने की बात नहीं है, जीने की बात है; जो जीता है वो समझता है। सबकुछ दाँव पर लगा रखा है, जैसे उसका कुछ महत्व ही न हो। तो किसका महत्व है? वो तुम नहीं समझोगे, उसके लिए दाँव पर लगाओ पहले।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें