content home
लॉगिन करें

आत्मस्थ हो जाओ और निष्कामता को पाओ

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 श्लोक 3–5 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
2 घंटे 3 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडियोज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

निष्कामता कर्म के तल पर नहीं होती, क्योंकि कामना कर्म में नहीं कर्ता में छुपी हुई होती है।

आपके हृदय की जो स्थिति है वही आपकी अभिव्यक्ति बन जाती है माने कर्म बन जाती है। तो कर्म न करने से बात बनेगी नहीं क्योंकि कर्म का दमन करने से बात नहीं बनेगी। मूल कामना हटानी पड़ेगी।

निष्कामता नहीं मिलती कर्म को रोक देने से और जो आजतक कर रहे हो उसको रोक देने से भी बात नहीं बनेगी।

तो क्या करें की बात बने? कैसे समझें, कैसे जानें?

एक सूत्र बताए देते हैं– जीवन में कुछ ऐसा हो जाए जो आपको चोट दे तो मत जल्दी से घटना को दोष दे दीजिए मतलब कर्म पर दोष मत डालिए बल्कि पूछिए कि मैं ऐसा क्यों हूंँ कि मुझे चोट लगी? ऐसा कैसे हो पाया कि सामने वाला मुझे चोट दे सका। जगत कि ओर नहीं भीतर की ओर मुड़िए। कर्ता को देखिए।

तो आइए ऐसे कई सूत्र जानते हैं आचार्य जी के साथ इस सत्र में और जानेंगे कर्म, अकर्म, निष्कामता और सकामता के बारे में।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें