आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
content home
लॉगिन करें

ज्ञान पाकर शांति को प्राप्त हो अर्जुन

Thumbnail
AP Name Logo
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 38-40 पर आधारित
पूरी श्रृंखला देखें
1 घंटा 42 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

तन सम्बन्धित जो कर्म हैं, वो तो चलो चलते रहेंगे। ठीक है, उसकी बहुत चिंता हम करते भी नहीं। लेकिन हमें सताते जो हैं वो तन के कर्म नहीं हैं, मन के ही कर्म हैं। मन कर्म करता है ताकि कर्ता बन करके फिर भोक्ता बन सके। मन होता है 'अज्ञानी' वो जानता ही नहीं कि वो कौन है, अतः कौनसा कर्म उसके लिए उचित है। तो वो जिस परिणाम की आशा में कर्म करता है, वो परिणाम उसको निश्चित रूपेण उल्टा ही पड़ता है और इस तरह जीव निरंतर दुख भोगता रहता है; सुख की आशा, दुख का भोग।

वेदान्त बार-बार सिखाता है कि चुनाव का विकल्प आपके पास है। ताकि जो स्थिति अभी चल रही है, आप इसके आगे ख़ुद को मजबूर न समझो और मजबूरी के पक्ष के जितने बहाने हैं, इसीलिए कृष्ण उनको बार-बार गिना दे रहे हैं। अर्जुन ने ये बहाने सामने नहीं रखे, कृष्ण ने स्वयं ही गिना दिए। कृष्ण को पता है कि अर्जुन के अंदर यही बहाने हैं। तत्परता की कमी है, जो पता है उसको जी नहीं रहे। श्रद्धा की कमी है, संशय बहुत है, इंद्रिय-संयम नहीं। अर्जुन स्वयं नहीं बोलेंगे न कृष्ण को पता है कि यही तो है माया सामने, और ये सब माया के तरीके हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें