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श्रीकृष्ण से समझिए कर्म का रहस्य

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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4 श्लोक 16–18 पर आधारित
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1 घंटा 12 मिनट
हिन्दी
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परिचय
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तो पिछले श्लोक में, पंद्रहवें श्लोक में कह रहे थे कि, निष्कामभाव से साधना करो, अपने लिए कुछ मत मांगो। जितना अपने लिए मांगोगे उतना तुम अर्जुन ही बने रह जाओगे।'

श्रीकृष्ण कह रहे हैं कि कर्म जानने की बात है और विकर्म भी और अकर्म भी, इनको जानो। जानो और ध्यान से सुनना, कर्म के बारे में समझना आसान नहीं- 'गहना कर्मणो गति।' जो कर्म में अकर्म देखते हैं और अकर्म में कर्म देखते हैं, वह मनुष्य ज्ञानी हैं और वही समस्त कर्मों को करने वाला भी है। क्या कह रहे हैं ये? कर्म को समझो, अकर्म को समझो, कर्म में अकर्म को देखो, अकर्म में कर्म को देखो।

यह श्रीकृष्ण कौन सी पहेली अब अर्जुन के सामने रख रहे है? अर्जुन को और हम सबको श्रीकृष्ण क्या समझाना चाहते हैं? जानेंगे कर्म, अकर्म, विकर्म का रहस्य आचार्य प्रशांत के साथ इस सरल से कोर्स में।

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