आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
content home
लॉगिन करें

न त्याग करना है और न ग्रहण

Thumbnail
AP Name Logo
अष्टावक्र गीता (प्रकरण– 6, श्लोक– 4)
पूरी श्रृंखला देखें
1 घंटा 45 मिनट
हिन्दी
विशिष्ठ वीडिओज़
पठन सामग्री
आजीवन वैधता
सहयोग राशि: ₹199 ₹500
एनरोल करें
कार्ट में जोड़ें
रजिस्टर कर चुके हैं?
लॉगिन करें
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें
वीडियो श्रृंखला को साझा करें
परिचय
लाभ
संरचना

मैं समस्त भूतों में हूँ, समस्त भूत मुझमें हैं, ये ज्ञान है। इसका न त्याग करना है और न ग्रहण, बस इसके साथ एकरूप होना है।

कहीं कुछ अलग नहीं है। क्यों बताना पड़ रहा है ऋषि महाराज को ये? बताना इसलिए पड़ रहा है क्योंकि हम देखना नहीं जानते। जब हम देखना नहीं जानते तो हम दर्शन की अपेक्षा कल्पना पर चलते हैं। हम ज्ञान की अपेक्षा अनुमान पर चलते हैं क्योंकि भीतर एक बैठा हुआ है सहमा हुआ सा, काँपता हुआ जो ये मानने को क़तई राज़ी नहीं होता कि मैं नहीं जानता। उसके पास ज्ञान नहीं होगा तो वो अनुमान कर लेगा।

कोई पूछेगा, ‘क्यों कर रहे हो कुछ?’ आप कोई तर्क दोगे। ‘वो क्यों किया?’ उसमें कोई तर्क दोगे। अन्ततः अगर आप ज़िन्दगी सही जी रहे हो तो आपका आख़िरी तर्क ये होगा कि अरे! होने के लिए जी रहा हूँ, मैं इसलिए ये सबकुछ कर रहा हूँ। मुक्ति से प्रेम है न, इसलिए सबकुछ कर रहा हूँ।

तो आत्मा तर्कों का तर्क होती है, वो आख़िरी तर्क होती है। वो सब तर्कों की बुनियाद होती है। और जो आत्मा की तरफ़ नहीं जी रहा होता है, उसके तर्क ऊपर-ऊपर से कितने भी पैने लगें, वो सब होते बस कुतर्क हैं। मुनि आपको प्रेम करना सिखा रहे हैं वह आपको आत्मस्थ होना सिखा रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।

कोई भी वीडियो श्रृंखला आचार्य प्रशांत के यूट्यूब वीडियो से कैसे अलग है?
क्या ये लाइव वीडियो हैं या इसमें पहले से रिकॉर्डेड वीडियो हैं?
वीडियो श्रृंखला के लिए सहयोग राशि क्यों रखी गयी है? यह निःशुल्क क्यों नहीं है?
सहयोग राशि से अधिक दान देने से मुझे क्या लाभ होगा?
वीडियो श्रृंखला की रजिस्ट्रेशन की प्रकिया के बाद मैं उसे कब तक देख सकता हूँ?
क्या वीडियो श्रृंखला के वीडियो को बार-बार देखने की सुविधा उपलब्ध है?
मुझे वीडियो श्रृंखला से बहुत लाभ हुआ, अब मैं संस्था की कैसे सहायता कर सकता हूँ?
130+ ईबुक्स ऍप में पढ़ें