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लेख
क्या करेगी कविता
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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बेकार ही है

एक कविता से बहुत अपेक्षा करना।

पहले तो

बामुश्किल अस्तित्व में आएगी

आनंद पीड़ा के दुष्प्राप्य क्षणों से प्रजात

इस पल से निकला अनंत का टुकड़ा अज्ञात

अकुलायेगी, बेचैन…

आहिस्ता से उभर आएगी।

तपते युद्धरत दिवस का सांध्य-विश्राम

परिचितों की भीड़ में एक अपरिचित अनाम

कभी एक शांत स्निग्ध मुख

कभी छवि रक्तिम, लहूलुहान

बहती-नदी सी धुन बनेगी, गुनगुनाएगी

या अचानक उठी बेमतलब चीख सी

चिल्लाएगी, सो जाएगी

~ प्रशान्त (१५.११.०९)

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