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लेख
खबरें दिखाओ, देह मत बेचो || नीम लड्डू

आप एनडीटीवी पर चले जाइए, आप रैडिफ़ पर चले जाइए – मैं इनकी वेबसाइट की बात कर रहा हूँ। स्क्रोल करेंगे तो ४ खबरें होंगी और ४ खबरों के बाद कुछ नहीं होगा सिर्फ़ नंगी स्त्री देह की नुमाइश होगी। स्त्री देह का ऑब्जेक्टिफिकेशन (वस्तुकरण) लिबरल मीडिया (उदारवादी मीडिया) से ज़्यादा कौन कर रहा है? और इस लिबरल मीडिया की ये हिमाक़त कि ये कह रहे हैं कि 'कन्यादान खराब है क्योंकि उसमें स्त्री को ऑब्जेक्टिफाई किया जाता है।' तुमने कोई कसर छोड़ी है महिलाओं को वस्तु में बदलने में?

छोटी-छोटी बच्चियों के मन में तुमने यह भावना बैठा दी है कि वह सर्वप्रथम देह मात्र हैं; उनकी मासूमियत छीन ली तुमने, उनको इंसान ही नहीं रहने दिया, उनको जिस्म बना डाला। यही प्रोपेगेंडा (प्रचार) कर-करके कि जिस्म दिखाना तो बड़ी लिबरल बात है।

खबरों से ज़्यादा स्त्री की नंगी देह का इस्तेमाल होता है पाठकों को अपनी ओर खींचने के लिए, अपनी दूकान और धंधा चमकाने के लिए।

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