आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
कैसा है तुम्हारा मन - फूल, या धूल? || आचार्य प्रशांत, दादू दयाल पर (2017)

प्रसंग:

  • मन क्या है?
  • कैसा है तुम्हारा मन - फूल, या धूल?
  • मन को माणिक क्यों बोला गया है?
  • मन माणिक कब है?
  • मन को कीमती क्यों बताये है संत दादू दयाल?
  • मन माणिक मूरख राखि रे, जन-जन हाथ न देहु। इस पंक्ति का क्या अर्थ है?

दोहा:

मन माणिक मूरख राखि रे, जन-जन हाथ न देहु। दादू पारिख जौहरी, राम साध होई लेहु ।।

~ संत दादू दयाल

Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light
View All Articles