आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
आप को
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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आप को: जन्मदिन मुबारक

और धन्यवाद

बताने का

कि कविता

रजनीगंधा का फूल

हो सकती है

पर

अभी

‘आप की फरमाइश’ पर

कविता

लिखूँ कहाँ से

जब

घड़ी के काँटे भी सो जाना चाहते हैं

और

नल से गिरता पानी

ध्यान जमने

देता नहीं

पहले तो

ज़रा यह नल बंद किया जाए।

मैं

झुक कर

नल बंद करता हूँ

आगे बढ़ता हूँ

और

वाशिंग मशीन के पास

ठिठक कर

खड़ा हो जाता हूँ

(यह घर का वह कोना है जहां मैं संभवतः सबसे कम जाता हूँ)

विचारों की तन्द्रा

पहले तो

सकपका कर

टूटती है

फिर…

झकझोर कर जगाती है ।

ध्यान से देखता हूँ

सब कुछ नया लगता है

जड़ मैं

सोच नहीं पाता

क्या, कैसा दिखता है घर

वाशिंग मशीन के पास खड़े होकर।

~आचार्य प्रशांत

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