हम में से ज्यादातर लोगों ने बचपन में हनुमान चालीस जरूर याद की होगी। विशेषतौर पर यह चौपाई:
भूत पिशाच निकट नहीं आवे।
महावीर जब नाम सुनावे।।
घर के बड़े ऐसा बताते थे कि यह बोलने से भूत प्रेत भाग जाते हैं और अंधेरे में लगने वाला डर भी समाप्त हो जाता है। और हम भी बचपन में बस मान लेते थे। कभी हम ने इस पर सवाल उठाया ही नहीं कि:
भूत माने क्या?
तुम्हारी कल्पनाओं में भूत है या सच में भूत है?
पर क्या सच में हनुमान चालीसा यहीं तक सीमित है कि थोड़ा डर लगा तो चौपाई याद कर ली या सुबह सुबह घंटी बजा कर पूजा कर ली। क्योंकि लाभ भी तो तभी होगा जब हम हनुमान चालीसा का वास्तविक गहरा वेदांतिक अर्थ समझ पाएंगे।
उदाहरण के तौर पर इस चौपाई को ही ले लीजिए:
विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर।।
हम सब जानते हैं हनुमान जी राम के भी कितने बड़े भक्त हैं। मगर क्या प्रश्न नहीं उठते कि:
कौन हैं राम?
और क्यों हनुमान जी को राम का कभी सेवक, कभी मित्र, और कभी राम का ही सहोदर कहा जाता है?
क्यों हनुमान इतने लालायित हैं राम का कार्य करने के लिए?
एक वानर रूप में हनुमान इतने ज्ञानी और इतने चतुर हो कैसे गए?
क्या राम और हनुमान सिर्फ़ रामायण के पात्र तक ही सीमित हैं?
अगर आपको हम इन प्रश्नों का उत्तर यह कह कर दे दें कि सब भगवान कि माया है तो क्या आप संतुष्ट होंगे? नहीं न। समझिए, यह वीडियो सीरीज़ उनके लिए है जो ठोस तर्कों से और तथ्यों से चालीसा को समझना चाहते हैं। हम चाहते हैं आप सुनें समझें और न समझ आए तो अपने प्रश्न हमें भेजें। और समझ दुरुस्त हुई हो तो इसे और लोगों तक साझा करें।
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