8–18 वर्ष की आयु... एक युवा मन, जिज्ञासा से भरा हुआ — जो सवालों के जवाब ढूंढ रहा है, और अपने लिए सही रास्ते तलाश रहा है। यही वो समय है जब ज़िंदगी की असली नींव रखी जाती है। इस वक़्त में किए गए चुनाव ही आगे चलकर जीवन को दिशा और आकार देंगे।
ऐसे मोड़ पर, प्रस्तुत किताब आपकी सबसे सच्ची दोस्त बन सकती है — जो आपको उलझनों से बचाएगी और असली जीवन जीने की राह दिखाएगी।
युवाओं के दिल से निकले सवाल, और आचार्य जी के इतने सरल और मज़ेदार जवाब, कि पढ़ते ही आपको लगेगा – "अरे! यह तो सीधे मेरे दिल की बात कह गए!"
कोई भारी भाषा नहीं, कोई उपदेश नहीं — बस वही बातें, जो आज जानना ज़रूरी हैं।