सुबह उठते ही, "जानू उठ गई? जानू टट्टी कर ली, ब्रश कर लिया? नाश्ते में क्या खा रही हो? क्यों खा रही हो? खा ही क्यों रही हो, पी क्यों नहीं रही? जानू पैरों से चल रही हो? सर के बल क्यों नहीं चल रही?"
अभी हॉट है मामला भई! नया-नया, ताज़ा-ताज़ा, और फिर धीरे-धीरे यह होने लगता है कि तुमने कॉल भी करी है तो उसका दो घण्टे बाद जवाब आएगा। मैसेज किया तो उस पर ब्लूटिक लग गया लेकिन जवाब नहीं आ रहा तो तुम यह देखते बैठे हो कि ब्लूटिक लग गया। बीच-बीच में तो वो वहाँ पर अपना नेट ही बंद करके बैठा जाएगा कि, ‘मैसेज मुझ तक पहुँचे ही नहीं।‘
ये ब्लॉकिंग से पहले के लक्षण हैं। यह बातें बता रही हैं कि अब जो अगला कदम होगा वो ये होगा कि तुम ब्लॉक किए जाओगे।
ब्लॉकिंग तत्काल नहीं होती है। यह जल्दी से तत्काल ही ठंडी हो जाती है क्या? (पास रखी चाय को संबोधित करते हुए) पहले हॉट (गर्म) है, फिर लैस हॉट (कम गर्म) है, फिर ल्यूकवॉर्म (गुनगुनी) है। पहले वही चीज़ जो ‘आहाहा!’ लगती था, ‘कितनी डिलीशियस (स्वादिष्ट) है!’ धीरे-धीरे लगता है। “अब क्या है!”
एक तो इसकी जो हॉटनेस (गर्माहट) है वह कम हो गई क्योंकि हम उसके अभ्यस्त हो गए, और दूसरे हमारी जो माँग थी वह भी तो कम हो गई। अब मैं इसको अपने पास रखूँगा क्या? कहूँगा, “हट!”