जो भी लोग जीवन में तरक़्क़ी करने को उत्सुक हों, उनको एक बहुत छोटी सी बात बताए देता हूँ। सीढ़ी है, बस जो सामने पायदान है उसपर नज़र रखना। यह कोशिश तो करना ही नहीं कि ऊपर देख रहे हो, कि वह जो बिलकुल आख़िरी तल्ला है सीधे उसपर छलाँग मार दें।
सीढ़ी पर कैसे चढ़ते हो? एक-एक कदम न। तो दूसरे चरण पर हो अगर तो बात करना सिर्फ़ तीसरे चरण की। चौथे चरण की बात करने में ज़ायका बहुत है, मज़ा बहुत है, उपयोगिता कुछ नहीं। मज़ा चाहिए, उपयोगिता चाहिए?