शेर की तरह जियो || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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शेर की तरह जियो || नीम लड्डू

सबसे पहले यह समझो कि दूसरे तुम में कमज़ोरी देख रहे हैं न, इसीलिए तुम पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वह तुममे कमज़ोरी देखेंगे ही नहीं तो तुम पर चढ़ने की कोशिश भी नहीं करेंगे। बात यह नहीं है कि उसने जो भी कहा है वह सही है या ग़लत है, बात यह है कि उसने जो भी कुछ कहा, उसने कुछ कह कैसे दिया। ज़रूर तुमने ही कुछ ऐसे सिग्नल (सन्देश) दिए हैं कि, “मैं कमज़ोर आदमी हूँ और मुझसे कोई कुछ भी कह सकता है।“ तुमने अपना ब्रांड ऐसा लुचुर-पुचुर बना क्यों रखा है? लोग भी न बंदा देखकर के और शक्ल देखकर के बोलते हैं। तुम शेर की तरह रहो, शेर की तरह जियो! किसी की ख़ुद ही हिम्मत नहीं पड़ेगी तुम पर आक्षेप, आपत्ति करने की।

पहली शर्म तो तभी आ जानी चाहिए जब कोई आ करके तुम्हारे मसलों में हस्तक्षेप करें। जिगर चाहिए, हौसला चाहिए, भीतर ज़रा आग चाहिए, आँखों में तेज चाहिए। किसी की हिम्मत नहीं होनी चाहिए तुमसे फ़ालतू बात करने की!

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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