सरकारी नौकरी का लालच || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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सरकारी नौकरी का लालच || नीम लड्डू

दिल में जिसको बैठाना था उसकी जगह और बहुत कुछ बैठा लिया। अब सरकारी नौकरी का लालच बैठा हुआ है दिल में, क्यों? सब जानते हैं क्यों! गाड़ी मिल जाएगी, सरकारी बंगला मिल जाएगा, कोई निकाल नहीं सकता। कोई निकाल नहीं सकता बड़ा आनंद रहता है, अज़ीम-ओ-शान-शहंशाह। ग्यारह बजे जाओ, बारह बजे जाओ, तीन बजे वापस आओ, निकाल तो कोई सकता नहीं। इसको बोलते हैं ‘जॉब सिक्योरिटी * ’। ये ‘जॉब सिक्योरिटी’ है? ये नर्क है! और दहेज भी बढ़िया मिलता है, “लड़का गवर्नमेंट जॉब (सरकारी नौकरी) में है।” “हाए! गवर्नमेंट जॉब करता है?”

चतुर्थ वर्ग की नौकरी निकलेगी, उसके लिए पीएचडी वाले भी आवेदन करेंगे। ये मत कह देना, “बेरोज़गारी बहुत है”, दहेज बहुत है! बेरोजगारी की बात नहीं है, कोई काम करना चाहे उसको बहुत अवसर हैं। वही है बस एक बीमारी, ज़िंदगी ग़लत केंद्र से जी जा रही है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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