Acharya Prashant is dedicated to building a brighter future for you
Articles

सारे धर्मों के त्याग के बाद क्या? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण और श्री अष्टावक्र पर (2016)

Author Acharya Prashant

Acharya Prashant

6 min
385 reads
सारे धर्मों के त्याग के बाद क्या? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण और श्री अष्टावक्र पर (2016)

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज | अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा श्रुचः ||

अनुवाद: सब धर्मों का परित्याग करके तुम एक मेरी ही शरण में आओ, मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा। तुम शोक मत करो।

~भगवद् गीता (अध्याय १८, श्लोक ६६)

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कृष्ण कहते हैं “सर्वधर्मान्परित्यज्य मोमकं शरणं व्रजः” मतलब कि सब धर्म छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ। अष्टावक्र कहते हैं कि सभी धर्म और बंधन त्याग दो, उसके बाद क्या करना होगा, वो कभी नहीं कहते हैं। कृपया, यह स्पष्ट कीजिए।

आचार्य प्रशांत: कृष्ण कौन हैं? कृष्ण क्या कोई नया धर्म है? कृष्ण जब अर्जुन से कह रहे हैं — ‘सर्व धर्मम्परितज्य’। तो यहाँ तक तो ठीक है। यह बात तो अर्जुन के दायरे की है कि "अर्जुन तू है और तेरे द्वारा पालित सारे धर्म हैं। तू है, तेरे धर्म हैं।’’ और कहा कि “तू अपने पाले सारे धर्मों को छोड़ दे।” यहाँ तक तो बात अर्जुन की थी। इसके आगे की बात कृष्ण की है।

इसके आगे की बात क्या है? ‘मामेकं शरणं व्रजः’, "मैं जो एक हूँ, मेरी शरण में आ।" अब बात अर्जुन की तो नहीं है, तो यानी कि अर्जुन की भाषा में तो नहीं की जा सकती। अब बात अर्जुन के मन से आगे की है। अर्जुन के व्याकरण और इस संसार से आगे की है।

अब बात कृष्ण की है। कृष्ण कौन हैं? क्या कृष्ण, जो अर्जुन के दायरे के भीतर जो अनेका-नेक धर्म हैं, उन्हीं धर्मों में से कोई और नया धर्म है? अर्जुन का दायरा क्या है? अर्जुन का दायरा संसार है, भाषा है, अर्जुन का दायरा भाषा है। अर्जुन का दायरा पूरी मानवता है, हम सब हैं। कृष्ण कह रहे हैं, "उसको छोड़!"

कृष्ण कह रहे हैं — ‘उसको छोड़।’ फिर आगे तीन शब्द और लगा देते हैं — ‘मेरे पास आ।’

‘अब मेरे पास आ’, क्या वैसा ही है कि उस खम्भे के पास जा, उस पेड़ के पास जा, उस तालाब के पास जा, उस मंदिर के पास जा, उस पुजारी के पास जा, उस शास्त्र के पास जा? उन सब को तो कृष्ण ने छोड़ने को बोल दिया है। कृष्ण ने कहा है — ‘सर्वधर्म’। जितने धर्म तू जान सकता था। जितने धर्म मानव कृत हो सकते थे, जितने धर्म तेरे दिमाग में आ सकते थे, उन सब को तो तू छोड़ दे। तो उन सब को तो छोड़ दिया। अब बचा कौन? क्या अर्जुन भी बचा? वो सब कुछ छोड़ते ही क्या बचा?

प्र: कृष्ण।

आचार्य: तो कृष्ण यह दूसरी बात कह रहे हैं, वो न भी कहते तो चलता। कृष्ण ने यह नहीं कहा है कि सब कुछ पुराने पाँच-दस छोड़कर, अब छठे और ग्यारहवें में आ जा। कृष्ण ने कहा है- "सर्व: सब कुछ।" सब कुछ माने अर्जुन की पूरी हस्ती। "छोड़ वो सब कुछ जो तू है, तेरे दिमाग में हो सकता था। उसको भी छोड़ दे जो कहीं जाता।" कह ज़रूर रहे हैं कि, "मेरी शरण में आजा।" पर वो आएगा कैसे? क्योंकि आने के लिए अर्जुन शेष तो बचना चाहिए। जब सारे धर्म छोड़ दिए अर्जुन ने तो अर्जुन भी कहाँ बचा।

अर्जुन कौन? जो समस्त धर्मों में बंधा हुआ अनुभव करता है अपने-आपको। जब सारे कर्तव्यों का त्याग कर दिया, तो अर्जुन जैसा कुछ बचा कहाँ? कृष्ण कौन हैं फिर? जब अर्जुन गया, तो जो शेष है वही कृष्ण हैं। अब कहीं जाना थोड़े ही है कृष्ण के पास। अर्जुन के हटते ही जो बचा वो कृष्ण। पूरी गीता और क्या है? अर्जुन अड़ा हुआ है, कृष्ण हटा रहे हैं। बाण क्या अर्जुन ने चलाए? अर्जुन तो अड़ा था कि नहीं चलाऊँगा।

कृष्ण कौन? अर्जुन का अभाव ही कृष्ण हैं। तो इसमें कोई दो मत नहीं हैं। अष्टावक्र और संक्षिप्त में कह रहे हैं, जो बात कृष्ण ने खोलकर ही बयान की है। अष्टावक्र इतना ही कह देते हैं — ‘छोड़ दो।’ कृष्ण ने पुछल्ला जोड़ दिया है कि छोड़कर, इधर आ जाओ। और इधर किधर? इधर-किधर कुछ बचा ही नहीं है।

तो मतलब छोड़ना ही सब कुछ है। आप पूछ सकते हैं तो फिर कृष्ण ने ऐसा बोला ही क्यों? व्यर्थ ही क्या शब्दों का उपयोग किया? नहीं, व्यर्थ ही नहीं किया। जिससे कह रहे हैं, क्या अभी उसने छोड़ा है? जिस अर्जुन से कह रहे हैं, क्या अभी उसने छोड़ा है? जल्दी बोलिए।

प्र: नहीं।

आचार्य: जिस अर्जुन से बात कर रहे हैं, क्या अभी उसने समस्त धर्मों का त्याग किया है? नहीं किया है। यह अर्जुन क्या छोड़ने के लिए उत्सुक है?

प्र: नहीं।

आचार्य: आप क्यों नहीं छोड़ना चाहते हो?

प्र: आगे का पता नहीं।

आचार्य: आगे का पता नहीं। आगे का पता हो, तो छोड़ने में सुविधा रहती है न। अगर आपसे कोई कहे कि बस छोड़ दो और छोड़ने के बाद कुछ मिलेगा नहीं, तो क्या छोड़ोगे? पर अगर कोई कहता है कि छोड़ दो पर छोड़ने के बाद कुछ बहुत बड़ा और मीठा, सुन्दर, कृष्णमय ही मिल जाएगा, तो छोड़ने में आसानी होती है न। तो समझ लीजिए उसके लिए आसान बना रहे हैं कि अर्जुन सारे धर्मों को छोड़ दे। मेरे पास आ न! आ न!

अब यह अलग बात है कि जब सब कुछ छोड़ देगा, तो कौन है जाने वाला और किसके पास जाएगा। जब तक यह बात उसे समझ आएगी, तब तक सब कुछ छूट चुका होगा।

सहारा दिया जाता है। गुरु को अक्सर सहारा देना पड़ता है। इस तरह की बातें बोलनी पड़ती हैं कि सब अच्छा होगा, सब भला होगा। होगा कुछ नहीं।

तो यह सहारा देने वाली बात है कि, "कोई बात नहीं, कोई नहीं बचेगा तेरे लिए, मैं तो रहूँगा न।" अरे! जब कुछ नहीं बचेगा, तो गुरु भी कहाँ बचेगा।

YouTube Link: https://youtu.be/oxKHOK136pA

GET UPDATES
Receive handpicked articles, quotes and videos of Acharya Prashant regularly.
OR
Subscribe
View All Articles