तमिल कवि तिरुवल्लुवर की स्त्री का नाम वासुकी था। वह बड़ी ही पतिव्रता थी। विवाह के दिन तिरुवल्लुवर ने खाना परोसते समय उससे कहा, “मेरे खाना खाते समय नित्य एक कटोरे में पानी तथा एक सुई रख दिया करो।” वासुकी ने जीवनपर्यत पति की इस आज्ञा का पालन किया। जीवन के अंतिम क्षणों में वासुकी ने तिरुवल्लुवर से कहा, “एक बात पूछनी है। विवाह के दिन भोजन करते समय आपने नित्य एक कटोरी पानी और एक सुई रखने को कहा था। मैंने आपसे प्रयोजन पूछे बिना ही वह कार्य प्रतिदिन किया। लेकिन यह जानने की मेरी सदा इच्छा रही कि आप ये दोनों चीजें क्यों माँगा करते थे? यदि बता दें, तो मैं शान्ति से मर सकूंगी।”
तिरुवल्लुवर ने स्नेहपूर्वक उत्तर दिया, “मैंने इसलिए पानी और सुई रखने को कहा था कि खाना परोसते समय यदि तुमसे चावल के दाने गिर पड़ें, तो उन्हें सुई से उठाकर, पानी से धोकर खा सकूँ। किन्तु तुम इतनी कुशल थीं कि तुमने कोई दाना नहीं गिराया। एक दिन भी सुई और पानी का उपयोग करने का मुझे अवसर ही नहीं दिया।”