किसी भी आम लड़के से पूछ लो वो किसलिए विवाह करता है; सम्मानजनक काम करने के लिए तो वो भी विवाह करता नहीं, काम वह सारे ऐसे ही करता है जो विवाह के बिना करदे तो तुम कहोगे 'ज़लील, लुच्चे, लफ़ंगे! गायब हो जा यहाँ से!'
तो तुम जो अपना सबसे ज़लील रूप हो सकता है वह पत्नी के सामने नँगा करते हो; करते हो न? दुनिया में और किसी को भले ही तुम्हारे बारे में ग़लतफ़हमी हो कि तुम बड़े सम्माननीय आदमी हो, तुम्हारी पत्नी को तो ग़लतफ़हमी नहीं हो सकती; उसने तुम्हारा निरा-पशु रूप देखा है, जो ना माँ ने देखा है, ना बाप ने देखा है, दोस्त-यारों ने भी नहीं देखा।
हमारी जो हैवानियत हमारे जीवन की स्त्रियाँ देखती हैं, हमारे सेक्सुअल पार्टनर (यौन साथी) देखते हैं वो और कोई देखता है क्या? और उसके बाद तुर्रा कि साहब को इज्ज़त चाहिए! सब काम-धाम निपटा कर खड़े हो गए हैं, डकार मारी और कह रहे हैं, “अब हमें सम्मान से प्रतिष्ठित करो न!”