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ख़तरनाक वासना || नीम लड्डू

Author Acharya Prashant

Acharya Prashant

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ख़तरनाक वासना || नीम लड्डू

जहाँ तुमको कामवासना के पूरे होने की उम्मीद हो और वहाँ वह पूरी ना हो रही हो तो फिर जो फ्रस्ट्रेशन (खींझ) और हताशा उठती है, वो बहुत-बहुत तीव्र होती है। वह इतनी तीव्र होती है कि उसकी लहर में लोग हत्या तक कर जाते हैं। जिसको एक बार यह ईच्छा और आशा पैदा हो गई कि उसकी वासना को पूर्ति मिलने जा रही है और फिर ना पूरी हो, तो वह व्यक्ति ख़ुद को भी नुकसान पहुँचा सकता है और दूसरे पर भी हमला करके उसे नुक़सान पहुँचा सकता है; अब वह पागल हो जाता है, बिलकुल अँधा!

जैसे कुत्ते को हड्डी दिखा दी गई हो। कुत्ते को हड्डी सुंघा कर फिर तुमने उससे हड्डी छीनी तो बहुत काटेगा। यह जो सारा डिसअपॉइंटमेंट (हताशा) है, फ्रस्ट्रेशन (खींझ) है, यह उठती एक झूठी आशा की बुनियाद पर है; उसके आगे ज्ञान, ध्यान सब विफल हो जाते हैं।

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