खाली समय मिला है तो क्या करना है? “चल न! मोहल्ला घूम कर आते हैं, बाज़ार देखकर आते हैं”, या कहीं नहीं जाना तो, “चल न, टीवी देखते हैं।“ ख़ुद को नहीं देखना है!
अपनी हालत क्या है, उससे बिलकुल बचकर रहना है। अपनी हालत का कुछ पता नहीं, टीवी देखना है हर समय। टीवी देखकर तुम्हें अपने बारे में क्या पता चल गया? टीवी वाला पानी पी रहा है, तुम्हारा पेट भरेगा? बाज़ार जा रहे हो, वहाँ दूकानें देख रहे हो, दूकानों में विविध माल है; तुम्हारा क्या?
शादियाँ होती हैं तो आजकल एक धँधा चला जिसमें दो-तीन महीने पहले से वो घर-घर आकर नाचना सिखाते हैं पूरे खानदान को। घर के जितने जवान होते हैं वह सलमान खान, रितिक रोशन इत्यादि बनेंगे और वृद्धाएँ जयाबहादुरी बनेंगी, मरियल ताऊजी अमिताभ बच्चन बनेंगे! और फिर पूरा खानदान नाचेगा! अब ऐसे में किसी को क्या पता चलेगा कि भीतर क्या है? 'कभी ख़ुशी, कभी ग़म, नाचो छम-छमा-छम।'