जिन्हें गुस्सा बहुत आता हो वो अपने गुस्से को समाप्त करने की कोशिश ना करें। वो अपने गुस्से को सही दिशा देने की कोशिश करें। हम ये नहीं कह रहे कि गुस्सा नहीं करेंगे, हम कह रहे हैं कि व्यर्थ बात पर, क्षुद्र बात पर गुस्सा नहीं करेंगे। गुस्सा अगर करना ही है तो करोड़ों की बात पर करेंगे। अठन्नी, चवन्नी, दो रुपये के लिए नहीं करेंगे।
इस बात पर कौन क्रोध करे कि चैनल क्यों बदल दिया टीवी का? कि तूने मुझे कोहनी क्यों मार दी? इस बात पर कौन घमासान करे? इन सब बातों की उपेक्षा करेंगे। छोटी बातों को तो अनदेखा कर देना है, अनसुना कर देना है।
क्रोध अगर है तुम्हारे भीतर तो अपने क्रोध को आरक्षित रखो कि जब महायुद्ध होगा तब क्रोध का इस्तेमाल करेंगे।