इसलिए नहीं मिलती सरकारी नौकरी || नीम लड्डू

Acharya Prashant

1 min
139 reads
इसलिए नहीं मिलती सरकारी नौकरी || नीम लड्डू

आचार्य प्रशांत: हिंदुस्तान में जानते हो न दस-लाख लोग आवेदन भरते हैं और चयन होता है दो-सौ का। ऐसे ही चलता है न? कितना प्रतिशत हुआ ये? प्रश्नकर्ता: एक-प्रतिशत भी नहीं हुआ। आचार्य: कितना हुआ? तुम्हें अध्यात्म की नहीं, मैथ्स (गणित) की ज़रूरत है। ऐसे नहीं किसी भी काम में सफलता मिलती है, सर्वस्व झोंकना पड़ता है। ज़्यादातर लोग जो इन सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे होते हैं, वो ऐसे ही कर रहे होते हैं, पारिवारिक दबाव है, सामाजिक रुझान है। पूरे दिल से तैयारी करने वाले लोग ही उन दस-लाख में मुश्किल से एक हज़ार होते हैं। बाकी तो बस ऐसे ही खानापूर्ति के लिए फॉर्म भरते रहते हैं। हिंदुस्तान में समय खराब करने का, युवावस्था को बिलकुल आग लगा देने का कोई तरीका है तो वो यही है पाँच-सात साल सरकारी नौकरी की तैयारी करो। जो लोग ढंग से तैयारी करते हैं, वो मुट्ठीभर होते हैं, उनमें से कुछ लोग चयनित हो जाते हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
Comments
Categories