हैप्पीनेस के सौदागर || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू

Acharya Prashant

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हैप्पीनेस के सौदागर || आचार्य प्रशांत के नीम लड्डू

आचार्य प्रशांत: इस युग की सबसे बड़ी त्रासदी ये है कि गुरु भ्रष्ट है और इस युग की सबसे बड़ी त्रासदी ये है कि गुरु और व्यापारी और राजनेता इन तीनों में साँठ-गाँठ हो गयी है। ऐसा पहले कम हुआ था। धर्म और राजनीति तो अतीत में भी हुआ है कि आपस में गुथ गयें थे। इन्होंने आपस में एक भ्रष्ट समझौता कर लिया था पर अभी जो नयी चीज़ हुई है, वो ये है कि गुरु में, बाज़ार में और राजनीति में एक त्रिपक्षीय समझौता हो गया है। ये तीनों अभी एक हैं।

बाज़ार भी चाहती है तुम शान्ति नहीं, खुशी माँगो। राजनेता भी चाहता है कि तुम झूठों में और व्यर्थ उत्तेजना में जियो। उसका तो काम ही है उन्माद भड़काना। देखते नहीं हो राजनेता कितना उन्माद भड़काते हैं? जितने दंगे राजनेता करवाते हैं, उतने और कौन करवाता है? और दंगों से किसी को नुक़सान होता हो तो हो नेताओं को ज़रूर फ़ायदा होता है।

बाज़ार चाहती है कि तुम खुशी की तलाश में रहो और राजनीति चाहती है कि तुम सच और शान्ति से दूर रहो और गुरु तुमको शान्ति और सच देने की जगह जब खुशी देने लग जाए तो समझ लो तो गुरु भी बाज़ार का और राजनीति का एजेंट हो गया। जहाँ तुम पाओ कि गुरु भी हैप्पीनेस शब्द का इस्तेमाल कर रहा है, वहाँ समझ लेना कि बड़ा भारी घपला है, बड़ा ज़बरदस्त घपला है। क्योंकि यही हैप्पीनेस तो मॉल भी बेच रहा है न, शॉपिंग मॉल!

जहाँ तुम पाओ कि गुरु बाँटने का काम कर रहा है, एक पक्ष को दूसरे पक्ष के खिलाफ़ खड़ा करने का काम कर रहा है तो तुम समझ लेना ये गुरु अब राजनेता का ग़ुलाम है या इसने राजनेता के साथ करार कर रखा है। क्योंकि बाँटने का काम तो राजनीति का था, ये गुरु कैसे करने लग गया? ये गुरु नहीं है, ये गुरु की खाल में कुछ और है।

पूरा लेख यहाँ पढ़ें: https://acharyaprashant.org/en/articles/shaanti-badee-ki-khushee-1_b831014

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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