दूसरों से इज़्ज़त पाने की लालसा || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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दूसरों से इज़्ज़त पाने की लालसा || नीम लड्डू

हम इज़्ज़त को बहुत बड़ी बात समझ बैठते हैं। हमारे जीवन का, समय का, ऊर्जा का, ध्यान का न-जाने कितना बड़ा भाग सिर्फ़ दूसरों की नज़रों में अपनी छवि चमकाने में लग जाता है, है न?

हमारी एक-एक भावना अन्ततः सिर्फ़ एक उद्देश्य के लिए है – इस शरीर को आगे बढ़ाते रहने के लिए। ये बहुत कीमती है। अब और कौन-कौन से मटेरियल (पदार्थ) चाहिए? खाना चाहिए, घर चाहिए, गाड़ी चाहिए…ये सब शरीर के लिए ही तो चाहिए होते हैं। एक-से-बढ़कर-एक फिर कपड़े चाहिए, दुनिया की तमाम तरह की सुख-सामग्री चाहिए। और वो जो कुछ भी चाहिए आपको इस शरीर के वास्ते, वो सबकुछ आसमान से तो नहीं टपकेगा। वो कहाँ से मिलेगा?

दूसरे लोगों से मिलेगा और फिर आपकी मजबूरी हो जाएगी कि दूसरे लोगों के मन में आपकी छवि अच्छी हो जाए ताकि आपको जो पाना है वो आपको मिलता रहे।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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