Acharya Prashant is dedicated to building a brighter future for you
Articles
क्रिकेट देखने का मज़ा ही तब है || नीम लड्डू
Author Acharya Prashant
Acharya Prashant
2 min
65 reads

मैं वनडे (एक दिवसिय) देखता नहीं, टी-२० देखता नहीं, मैं सिर्फ़ टेस्ट मैच देखता हूँ; वह भी तब जब भारत जाता है – वो ही जो सेना कंट्रीज़ हैं चार, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया – और उसमें भी तब देखता हूँ जब टीम की हालत बिलकुल ख़राब हो, क्योंकि मेरे भीतर कोई है जो हमेशा जादू के इंतज़ार में रहता है, जो आदमी की आत्मा को रौद्र रूप में नाचते हुए देखना चाहता है। वह तभी पता चलता है जब आप हारी हुई दबी कुचली हालत में हो – बॉलर सर पर चढ़ा हुआ है, साढ़े-तीन-सौ रन से पीछे हो और उस समय तुम बोल दो वहाँ, “मन नहीं कर रहा है खेलने का! गेंद लग जाएगी, मम्मी!”

अरे! वही तो मौका है जब कुछ खास हो सकता है, कुछ जादू हो सकता है। मैं आईआईटी में था तो दीवार पर बहुत कुछ मैंने लिख रखा था, उसमें से एक ये भी चीज़ कि जब स्थितियाँ सबसे ख़राब हों तभी सबसे उपयुक्त मौका होता है मैदान ना छोड़ने का। क्योंकि जब स्थितियाँ सबसे खराब होती हैं, वही वह बिंदु होता है जहाँ से अब स्थितियाँ बदलेंगी। मनचलों के लिए दुनिया कि कोई ऊँची चीज़ नहीं है ऐसों के लिए बस ज़िंदगी की धूल होती है।

Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light
View All Articles