तुम कर लो विवाह, पर यह उम्मीद मत रखना कि उससे अकेलापन कम हो जाएगा। संभोग इत्यादि के अवसर खूब उपलब्ध हो जाएँगे, वह सब हो जाएगा। बच्चे वगैरह हो जाएँगे, घर-खानदान खड़ा हो जाएगा, माता-पिता इत्यादि अगर तुमसे उम्मीदें कर रहे होंगे तो वो उम्मीदें पूरी हो जाएँगी। वह सब चीज़ें हो जाएँगी, बढ़िया घर का पका खाना मिलने लगेगा, घर सुव्यवस्थित रहेगा, कपड़े-लत्ते ठीक रहेंगे, चेहरे पर चमक आ जाएगी। ये सब होता है विवाह के बाद, वह सब हो जाएगा। दहेज इत्यादि मिल जाएगा, बाइक पर चलते होओगे तो गाड़ी आ जाएगी, समाज में थोड़ा सम्मान बढ़ जाएगा, किराए पर घर मिलने लगेगा – वह सब हो जाएगा। लेकिन ‘अकेलापन’, वह नहीं दूर होने का!