Media and Public Interaction

Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त
अमर उजाला
6 नवंबर 2023

ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त

अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत द्वारा ग्रेटर नोएडा के गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम का वर्णन किया गया है। दीपोत्सव के अवसर पर आचार्य प्रशांत ने संवाद सत्र में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में बदलाव के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त है। उन्होंने संत कबीर के दोहों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि दिवाली तभी सार्थक होगी जब मन में भी प्रकाश होगा। आचार्य ने गीता के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि यह ग्रंथ मानव को जीवन जीने का ढंग सिखाता है।
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जीवन बदलने के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त
दैनिक सवेरा
6 नवंबर 2023

जीवन बदलने के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त

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Bhagavad Gita’s Guidance for Life and Diwali’s True Essence
Bharat Express
November 5, 2023

Bhagavad Gita’s Guidance for Life and Diwali’s True Essence

Acharya Prashant explores the timeless wisdom of the Bhagavad Gita and the profound significance of Diwali during the Geeta Deepotsav at Gautam Buddha University. Emphasizing selfless action and inner illumination, he delves into the Gita's teachings on overcoming ego and ignorance for a meaningful life in today's world.
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बाजार की चकाचौंध से नहीं भीतर के दिये को जलाकर मनाएं दीवाली
भारत एक्सप्रेस
5 नवंबर 2023

बाजार की चकाचौंध से नहीं भीतर के दिये को जलाकर मनाएं दीवाली

गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में आयोजित गीता दीपोत्सव कार्यक्रम के संवाद सत्र में आचार्य प्रशांत ने कहा कि दीपावली मनाएं लेकिन बोधपूर्ण तरीके से। दीवाली तभी सार्थक होगा जब मन में प्रकाश हो ,चित्त शांत नहीं है बाहरी चकाचौंध से प्रभावित होकर कुछ भी करो उसका कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बाहर सौ दीपक भी जल रहे हो उससे कुछ नहीं होगा भीतर एक दिया पर्याप्त है।
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जीवन बदलने के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त
दैनिक भास्कर
5 नवंबर 2023

जीवन बदलने के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त

इस लेख में दैनिक भास्कर ने प्रकाशित किया है की आचार्य प्रशांत ने गीता दीपोत्सव में कहा कि जीवन बदलने के लिए ज्ञान का एक दीपक ही पर्याप्त है। इस समारोह में देश के विभिन्न राज्यों से हजारों साधक पहुंचे। आचार्य प्रशांत ने संत कबीर के दोहों पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि दिवाली तभी सार्थक होती है जब मन में भी प्रकाश हो। उन्होंने गीता के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि यह ग्रंथ मानव को जीवन जीने का सही मार्ग दिखाता है। समारोह में उपस्थित साधकों ने आचार्य प्रशांत के प्रवचनों से प्रेरणा प्राप्त की और ज्ञान के इस दीपक को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया।
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विजयादशमी विशेष: आओगे तो तुम भी राम के पास ही
अमर उजाला
24 अक्तूबर 2023

विजयादशमी विशेष: आओगे तो तुम भी राम के पास ही

अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत कहते हैं की रावण हो या हनुमान, या फिर विभीषण हृदय में तो सबके राम ही होते हैं। हनुमान का ये है कि राम उनके हृदय में भी हैं, और राम उनके जीवन में भी हैं। रावण का ये है कि जीवन तो उसका रावण का है और दिल उसने राम को दे रखा है। तो फिर वहां पर क्या आ जाता है? विभाजन आ जाता है, द्वंद आ जाता है।
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राम वो जिसके एक सिर, रावण वो जिसके अनेक सिर
TV9 भारतवर्ष
23 अक्तूबर 2023

राम वो जिसके एक सिर, रावण वो जिसके अनेक सिर

TV9 के इस लेख में आचार्य प्रशांत कहते हैं की आंतरिक विभाजन का ही नाम रावण है और सत्य के अतिरिक्त, आत्मा के अतिरिक्त जो कुछ भी है वो विभाजित है. जहां विभाजन है, वहांं आप चैन नहीं पा सकते. राम का कोई केंद्र ही नहीं है, जो मुक्त आकाश का हो गया वही राम है. आकाश का केंद्र आप नहीं बता पाएंगे. आकाश में तो तुम जहां पर हो वहीं पर केंद्र है; अनंत है
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शिव-शक्ति
राष्ट्रीय सहारा
19 अक्तूबर 2023

शिव-शक्ति

आचार्य प्रशांत ने राष्ट्रीय सहारा में लिखा है कि नवरात्रि का समय शक्ति की समझ के लिए उपयुक्त है। वे बताते हैं कि शिव केंद्र और शिव सत्य का मतलब है कि शिव शाश्वत सत्य और शांति का प्रतीक हैं। वहीं, शक्ति जीवन का प्रतीक है, जो जीवन को ऊर्जा और गति प्रदान करती है। आचार्य प्रशांत के अनुसार, नवरात्रि के अवसर पर हमें शक्ति की इस महत्वपूर्ण भूमिका को समझना चाहिए और इसे अपनी जीवन यात्रा में एक मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
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भावनाओं में न लें निर्णय
अमर उजाला
18 अक्तूबर 2023

भावनाओं में न लें निर्णय

आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला में लिखा है कि विचार और भावनाओं के बीच की दीवार बहुत पतली होती है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति भावनाओं से मुक्ति पा लेता है और भावनाओं को महत्व देना कम कर देता है, उसने एक बड़ी लड़ाई जीत ली है। आचार्य प्रशांत के अनुसार, भावनाएं अक्सर हमारे विचारों को प्रभावित करती हैं और इस तरह से जीवन की सच्चाई को देखने में बाधा डालती हैं। जब हम भावनाओं को कम महत्व देते हैं और उन्हें नियंत्रित कर लेते हैं, तो हम मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं।
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इज़राइल-हमास युद्ध : क्या है जंग का कारण?
दैनिक जागरण
16 अक्तूबर 2023

इज़राइल-हमास युद्ध : क्या है जंग का कारण?

आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में इज़राइल-हमास युद्ध पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि युद्ध का कारण यह है कि जब हर व्यक्ति अपनी मान्यता और विश्वास पर अडिग रहेगा, तो संघर्ष होना स्वाभाविक है। वे बताते हैं कि जब लोग अपनी-अपनी मान्यताओं और विचारधाराओं पर जोर देते हैं और किसी भी समझौते या सहमति के लिए तैयार नहीं होते, तो टकराव और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है।
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