Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
Saadhna News3 मार्च 2024
मन की सामग्री को बदले बगैर बदलाव सम्भव नही: आचार्य प्रशांत
आचार्य प्रशांत ने साधना न्यूज़ 24 के माध्यम से केसीसी कॉलेज में संत सरिता सम्मेलन में अपने विचार साझा किए। उन्होंने मन की सामग्री बदलने के महत्व को बताया और समझाया कि आध्यात्मिक सुधार के बिना जीवन में सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है। पढ़ें इस प्रेरणादायक संदेश को साधना न्यूज़ 24 द्वारा।
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अमर उजाला2 मार्च 2024
इस भ्रम में न रहें कि दुनिया आप चला रहें हैं
आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला के इस लेख में विचार व्यक्त किया है कि हमें यह भ्रम नहीं रखना चाहिए कि दुनिया हम पर चल रही है। उन्होंने कहा है कि हमें बुद्धि को मुक्त छोड़ना चाहिए, जो अपना काम जानती है, स्मृति भी अपना काम जानती है, पूरी व्यवस्था भी अपना काम जानती है। वह कहते हैं कि हर कोई अपना काम कर लेगा, और तुम्हें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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India.com29 फ़रवरी 2024
यह शख्स IIT & IIM से पढ़ा, सिविल सर्विस के लिए काम किया और फिर बन गया साधु
आचार्य प्रशांत का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था। उन्होंने IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग और IIM अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। सिविल सेवा में काम करने के बाद, उन्होंने आध्यात्मिकता और शिक्षा की दिशा में मोड़ लिया। अब वे आद्वैत शिक्षक और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जो अपने शिष्यों को गीता और उपनिषद के रहस्यों की शिक्षा देते हैं। उनके प्रेरणादायक जीवन के बारे में पढ़ें india.com पर।
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India TodayFebruary 28, 2024
From IIM to Monkhood: How an IIT-IIM alumnus found spiritual fulfillment
Explore the transformative journey of Acharya Prashant, who transitioned from a promising corporate career to finding spiritual fulfillment as a revered monk. Delve into how this IIT-IIM alumnus became a beacon of spiritual wisdom, inspiring countless seekers globally with his teachings on Vedanta philosophy and profound spiritual insights. Read more in this India Today feature.
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India TodayFebruary 28, 2024
From IIM to Monkhood: How an IIT-IIM alumnus found spiritual fulfillment
Discover the remarkable journey of Acharya Prashant, an IIT-IIM alumnus who left a promising corporate career to embrace spiritual fulfillment as a revered monk. Learn how he transformed into a beacon of Vedanta philosophy, offering profound spiritual insights and inspiring countless seekers worldwide. Explore more in this India Today feature.
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राजस्थान पत्रिका20 फ़रवरी 2024
दूसरों के खिलाफ जाना आसान, अपने खिलाफ जाना मुश्किल
इस लेख में आचार्य प्रशांत ने पत्रिका में व्यक्त किया है कि दूसरों के खिलाफ जाना आसान होता है, क्योंकि हम उनके गुण और कमज़ोरियों को आसानी से देख सकते हैं। लेकिन अपने खिलाफ जाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें हमें अपने दोषों को स्वीकार करने की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी समझाया है कि अध्यात्मिक राह पर चलना भी इसी तरह का सफर है, जिसमें हमें अपने अंदर की गहराईयों को समझने और स्वीकार करने के लिए मेहनत की आवश्यकता होती है।
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अमर उजाला24 जनवरी 2024
दूसरों की कितनी मदद करें?
इस लेख में आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में दूसरों की मदद करने के महत्व और सीमाओं पर चर्चा की है। उन्होंने समझाया है कि अपनी मुक्ति की चाह में हमें आत्मकेंद्रित नहीं होना चाहिए और दूसरों की मदद भी करनी चाहिए। यह लेख यह भी बताता है कि कैसे अपनी मदद और दूसरों की मदद में संतुलन बनाना चाहिए ताकि समाज में सहयोग और समरसता बनी रहे।
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दैनिक जागरण23 जनवरी 2024
कौन हैं तुलसी के राम?
इस लेख में आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में तुलसीदास के राम के गहरे अर्थ और उनकी व्याख्या पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि राम न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक व्यक्तित्व हैं, बल्कि एक जीवन की वास्तविकता और आदर्श का प्रतीक भी हैं। लेख में तुलसीदास के राम की भक्ति, प्रेम और उनकी जीवन दृष्टि को विस्तृत रूप में समझाया गया है, जो आज के समाज में भी प्रासंगिक है।
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राजस्थान पत्रिका23 जनवरी 2024
मन मंदिर बन गया तो फिर है जीवन सार्थक
राजस्थान पत्रिका के इस लेख में आचार्य प्रशांत द्वारा बताया गया है कि वास्तविक शांति और सार्थकता की खोज बाहरी संसार में नहीं, बल्कि हमारे मन के भीतर ही है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में न पहुंच पाने के बावजूद, उन्होंने समझाया कि राम हर व्यक्ति के भीतर बसे हैं और उनकी खोज हमारे अपने मन में ही संभव है। आचार्य प्रशांत ने राम, कृष्ण और शिव के महत्व पर जोर देते हुए समझाया कि मन को मंदिर बनाने से ही जीवन का वास्तविक अर्थ और उद्देश्य प्राप्त होता है।
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अमर उजाला11 जनवरी 2024
जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का संदेश देते थे स्वामी विवेकानंद
इस लेख में आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला में देह के सही उपयोग पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि देह केवल काम वसूलने के लिए है, इसे सजाने या सुरक्षित रखने के लिए नहीं। यह एक नई सोच है, जिसमें सन्यासी भी फुटबॉल खेलते हुए दिखते हैं। आचार्य प्रशांत ने बताया कि यह पुरानी मान्यता के विपरीत है, जहां बूढ़े भारत की सोच थी कि सन्यासी खेलते हुए नहीं दिखने चाहिए। यह लेख पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है और जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।