Media and Public Interaction

Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
From IIM to Monkhood: How an IIT-IIM alumnus found spiritual fulfillment
India Today
February 28, 2024

From IIM to Monkhood: How an IIT-IIM alumnus found spiritual fulfillment

Discover the remarkable journey of Acharya Prashant, an IIT-IIM alumnus who left a promising corporate career to embrace spiritual fulfillment as a revered monk. Learn how he transformed into a beacon of Vedanta philosophy, offering profound spiritual insights and inspiring countless seekers worldwide. Explore more in this India Today feature.
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दूसरों के खिलाफ जाना आसान, अपने खिलाफ जाना मुश्किल
राजस्थान पत्रिका
20 फ़रवरी 2024

दूसरों के खिलाफ जाना आसान, अपने खिलाफ जाना मुश्किल

इस लेख में आचार्य प्रशांत ने पत्रिका में व्यक्त किया है कि दूसरों के खिलाफ जाना आसान होता है, क्योंकि हम उनके गुण और कमज़ोरियों को आसानी से देख सकते हैं। लेकिन अपने खिलाफ जाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें हमें अपने दोषों को स्वीकार करने की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी समझाया है कि अध्यात्मिक राह पर चलना भी इसी तरह का सफर है, जिसमें हमें अपने अंदर की गहराईयों को समझने और स्वीकार करने के लिए मेहनत की आवश्यकता होती है।
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दूसरों की कितनी मदद करें?
अमर उजाला
24 जनवरी 2024

दूसरों की कितनी मदद करें?

इस लेख में आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में दूसरों की मदद करने के महत्व और सीमाओं पर चर्चा की है। उन्होंने समझाया है कि अपनी मुक्ति की चाह में हमें आत्मकेंद्रित नहीं होना चाहिए और दूसरों की मदद भी करनी चाहिए। यह लेख यह भी बताता है कि कैसे अपनी मदद और दूसरों की मदद में संतुलन बनाना चाहिए ताकि समाज में सहयोग और समरसता बनी रहे।
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कौन हैं तुलसी के राम?
दैनिक जागरण
23 जनवरी 2024

कौन हैं तुलसी के राम?

इस लेख में आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में तुलसीदास के राम के गहरे अर्थ और उनकी व्याख्या पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि राम न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक व्यक्तित्व हैं, बल्कि एक जीवन की वास्तविकता और आदर्श का प्रतीक भी हैं। लेख में तुलसीदास के राम की भक्ति, प्रेम और उनकी जीवन दृष्टि को विस्तृत रूप में समझाया गया है, जो आज के समाज में भी प्रासंगिक है।
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मन मंदिर बन गया तो फिर है जीवन सार्थक
राजस्थान पत्रिका
23 जनवरी 2024

मन मंदिर बन गया तो फिर है जीवन सार्थक

राजस्थान पत्रिका के इस लेख में आचार्य प्रशांत द्वारा बताया गया है कि वास्तविक शांति और सार्थकता की खोज बाहरी संसार में नहीं, बल्कि हमारे मन के भीतर ही है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में न पहुंच पाने के बावजूद, उन्होंने समझाया कि राम हर व्यक्ति के भीतर बसे हैं और उनकी खोज हमारे अपने मन में ही संभव है। आचार्य प्रशांत ने राम, कृष्ण और शिव के महत्व पर जोर देते हुए समझाया कि मन को मंदिर बनाने से ही जीवन का वास्तविक अर्थ और उद्देश्य प्राप्त होता है।
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जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का संदेश देते थे स्वामी विवेकानंद
अमर उजाला
11 जनवरी 2024

जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का संदेश देते थे स्वामी विवेकानंद

इस लेख में आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला में देह के सही उपयोग पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि देह केवल काम वसूलने के लिए है, इसे सजाने या सुरक्षित रखने के लिए नहीं। यह एक नई सोच है, जिसमें सन्यासी भी फुटबॉल खेलते हुए दिखते हैं। आचार्य प्रशांत ने बताया कि यह पुरानी मान्यता के विपरीत है, जहां बूढ़े भारत की सोच थी कि सन्यासी खेलते हुए नहीं दिखने चाहिए। यह लेख पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है और जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
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शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है
दैनिक जागरण
11 जनवरी 2024

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है

दैनिक जागरण के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को उद्धृत करते हुए बल और शक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला है। वे बताते हैं कि स्वस्थ और मजबूत शरीर जीवन के लिए आवश्यक है और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। लेख में स्वामी विवेकानंद के अभ्यास और शारीरिक फिटनेस के प्रति समर्पण का उल्लेख है, जो यह सिखाते हैं कि हमारा शरीर एक महत्वपूर्ण साधन है और इसे मजबूत और स्वस्थ बनाए रखना जीवन का सार है। आचार्य प्रशांत ने बल, शक्ति, और स्वास्थ्य को जीवन की महत्वपूर्ण धरोहर बताते हुए, निर्बलता को मृत्यु के समान बताया है।
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कोई अमीर, कोई गरीब क्यों पैदा होता है?
अमर उजाला
10 जनवरी 2024

कोई अमीर, कोई गरीब क्यों पैदा होता है?

आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला में लिखा है कि प्रकृति में न्याय-अन्याय जैसा कुछ नहीं होता। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे शेर हिरण को खा जाता है और बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है, इसमें न्याय कहाँ है? प्रकृति में केवल एक व्यवस्था है, एक विधि है। वहां न्याय खोजना मूर्खता है। आचार्य प्रशांत ने प्रकृति की इस सत्यता को समझाने का प्रयास किया है कि यह केवल नियमों और संतुलन पर आधारित है, न कि हमारी मानवीय धारणाओं पर।
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आंसू अगर सच्चे हैं तो भीतर आनंद ही आनंद है
लोकदेश
6 जनवरी 2024

आंसू अगर सच्चे हैं तो भीतर आनंद ही आनंद है

आचार्य प्रशांत ने लोकदेश में लिखा है कि जैसे किसी ने कलेजा भींच रखा हो, और फिर जरा तुम तनाव मुक्त हो जाओ, जरा तुम आश्वस्त और स्वतंत्र अनुभव करो। आंसू अगर सच्चे हों तो भीतर आनंद ही आनंद है। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि वास्तविक भावनाएं और सच्ची भावुकता ही हमें आंतरिक शांति और सुख प्रदान कर सकती हैं। सच्चे आंसू एक ऐसी स्थिति को दर्शाते हैं जहां दिल हल्का होता है और मन को गहरा संतोष मिलता है।
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जीवन में दुख आएगा भी जाएगा भी
दैनिक जागरण
26 दिसंबर 2023

जीवन में दुख आएगा भी जाएगा भी

आचार्य प्रशांत ने दैनिक जागरण में लिखा है कि जीवन में दुःख आएगा, और यह भी सत्य है कि दुःख चला जाएगा। वे कहते हैं कि जब तुम्हारे जीवन में दुःख आएगा, तो तुम्हारा रोना स्वाभाविक होगा, लेकिन जब दुःख चला जाएगा, तब भी तुम रो सकते हो। इसका मतलब यह है कि पहले आँसू दुःख के होते हैं और दूसरे आँसू दुःख से मुक्ति के होते हैं।
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