सत्य के संसर्ग से मन से मृत्यु का भय जाता रहता है, यह मन की सत अवस्था है। मन को कुछ ऐसा मिल जाता है जिसको अब काल/समय नहीं छीन ले जाएगा। पर आम जीवनचर्या में हम सत्य के अलावा बाकी विषयों को महत्व देते हैं जिससे मन बेचैन और डरा-डरा रहता है।
आत्मा मात्र सत्य है, यह हमसे दूर की बात है। पर जगत मिथ्या है, यह हमारे पकड़ की बात है। इसका परीक्षण हमारे बस में है। जगत को जितना परखते जाओगे, तुम्हें पता चलेगा जगत मिथ्या ही है। जो तुम्हें ताकत दे रहा होता है मिथ्या को मिथ्या देख पाने की, उसका नाम है सत्य। इस कोर्स में इस विषय पर गहराई से चर्चा की गई है।
मन को सदा किसकी तलाश रहती है?
मन को कहाँ अवस्थित करना है?
मन को सही संगति देना आवश्यक क्यों?
पाएंँ इन प्रश्नों के उत्तर आचार्य प्रशांत के इस सरल कोर्स में।
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