यौगिक क्रियाओं को अक्सर ही माध्यम समझा जाता है एक बेहतर और स्पष्ट जीवन जीने के लिए।
अनेक प्रकार के योग आसान शरीर के लिए तो लाभदायक होते हैं पर उनसे हमारी धारणाएँ, हमारी वृत्तियाँ या अन्य प्रकार के मानसिक विकार नहीं ठीक होते, जो वास्तव में हमारे दुःख का कारण हैं।
● क्यों उपनिषदों ने फ़िर योग पर ज़ोर दिया?
● क्या है वास्तव में योग का वैदिक अर्थ?
● ध्यान में होते अनुभवों का अर्थ क्या है?
● प्राणायाम क्या है?
● आसन में बैठने का अर्थ क्या है?
● यौगिक अनुशासन का महत्व क्या है?
इन सभी प्रश्नों का यौगिक व वैदिक अर्थ मिलता है आचार्य प्रशांत के इस आसान वीडियो कोर्स से। यह कोर्स श्वेताश्वतर उपनिषद् के अध्याय 2 पर आधारित है।
आप जिस उत्तर की तलाश कर रहे हैं वह नहीं मिल रहा है? कृपया हमारी सपोर्ट टीम से संपर्क करें।