यदि संसार अपने-आपमें पूर्ण होता तो सत्य की कोई आवश्यकता नहीं थी। शांति और शाश्वता की प्यास ही हमें सत्य की ओर ले जाती है। कोई कहे कि उसके जीवन में शांति है और सत्य की प्यास नहीं तो वह झूठ होगा। संसार की संरचना ही ऐसी है कि सत्य की माँग उठनी ही उठनी है।
सत्य कोई अनिवार्यता नहीं है लेकिन जिन्हें बेचैनी पसन्द नहीं सत्य उनके लिए है। सत्य एक विकल्प है लेकिन महँगा विकल्प है, इसके लिए कीमत चुकानी पड़ती है।
इस कोर्स में आचार्य जी श्वेताश्वतर उपनिषद् के श्लोकों के माध्यम से संसार की सच्चाई और एक संसारी के लिए सत्य क्यों आवश्यक है, इस विषय पर विस्तार बताते हैं।
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