मन क्या है? विचारों का एक प्रवाह। यह प्रवाह उपयोगी है यदि यह अपनी मज़िल तक पहुँच कर शांत हो जाए लेकिन तब क्या करें जब यह बेकाबू होने लगे?
आधुनिक जगत में हर व्यक्ति इस समस्या से परेशान है। अपने ही मन के विचारों के आगे खुद को निर्बल पाता है। समाधान के रूप में निर्विचार की एक काल्पनिक स्थिति तक पहुँचने की कोशिश करने लगता है। इस व्यर्थ कोशिश से बचें।
अध्यात्म के मूल ग्रन्थ हैं— उपनिषद्। इस कोर्स में प्रमुख उपनिषदों में से एक श्वेताश्वेतर उपनिषद् के कुछ श्लोकों की सहायता से आचार्य प्रशांत आपको समझाते हैं: विचार का सही उपयोग, विचार की सीमा और कैसे विचारों के दल-दल से निकल कर सही कर्म में प्रवेश किया जाए।
कुछ बेहद अनूठे उदाहरणों और किस्सों की सहायता से वे हजारों सालों पहले कहे गए इन वचनों का आपके लिए उपयोगी व सरल बना देते हैं।
जो लोग अपने विचारों को समझना चाहते हैं व उन्हें उपयोगी दिशा देना चाहते हैं, उनके लिए यह कोर्स लाभकारी होगा।
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