दुविधा और जटिलता ही मन का दुःख हैं। हमारा मन जितना स्पष्ट और सरल रहेगा, हमारा जीवन उतना ही आनंदित और सुखमय होगा।
हो सकता है कि हम बहुत ज्ञानी और अनुभवी हों परंतु यदि हमें आंतरिक स्पष्टता नहीं होगी तो हमारा ज्ञान और अनुभव व्यर्थ हैं। आंतरिक स्पष्टता एक स्वच्छ आँख की तरह है जो चीज़ों को साफ़ देख सकती है।
स्पष्टता ही शांति का पर्याय है और अस्पष्टता अशांति और मनोरोगों का प्रमुख कारण।
आचार्य जी का यह सरल वीडियो कोर्स "आंतरिक स्पष्टता के सूत्र" आपके जीवन और मन में आंतरिक स्पष्टता लाने के लिए तैयार किया गया है। यह कोर्स उन बाधाओं के समूल नाश के लिए है जो हमारे मन को जटिल बनाते हैं।
यह कोर्स श्वेताश्वेतर उपनिषद् के अध्याय 5 के कुछ श्लोकों पर आधारित है। साथ ही उन श्लोकों से जुड़े प्रश्नों पर भी खुलकर चर्चा की गयी है।
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