जितनी ऊर्जा हम दूसरे के दोष ढूँढने में लगाते हैं यदि उसकी आधी ऊर्जा अपने मन को साफ़ करने में लगा दें तो जीवन कुछ अलग ही हो जाएगा। हम ही कुछ अलग हो जाएँगे।
क्या मज़ा है एक डरे-दबे, संकुचित जीवन को जीने में जब एक ऊँचा जीवन संभव है? क्या तरीके हैं वह जिनसे हम ज़िन्दगी में छोटी बातों, छोटे मुद्दों, रोज़मर्रा की नोक-झोंक से ऊपर उठ सकते हैं? बुनियादी तौर पर कैसे अपने ही छुटपन से आगे बढ़ सकते हैं? घर तो साफ़ रख लेते हैं पर मन के जालों को कैसे काट सकते हैं?
ये सभी सवाल यदि आपके भी सवाल हैं तो ये कोर्स आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। आचार्य प्रशांत ने इस कोर्स में बहुत ही सरल व स्पष्ट रूप से एक स्वस्थ जीवन के उपयोगी नुस्खे बताए हैं।
आचार्य प्रशांत का यह सरल कोर्स "स्वस्थ मन, मस्त जीवन" श्वेताश्वेतर उपनिषद् के अध्याय 4 के चौदहवें श्लोक पर आधारित है। साथ ही इस श्लोक से जुड़े प्रश्नों पर भी खुलकर चर्चा की गयी है।
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