मन क्या है? मन प्रभावों का संकल है जैसी संगत मन को मिलती है वह वैसा रूप ढाल लेता है। बाहरी प्रभावों का आगमन क्या मन को बदल देता है? क्या मन की अपनी भी कोई हस्ती होती है? मन के अनुभव ही उसकी हस्ती को कायम रखते है और कोई भी अनुभव कभी तथ्य नहीं होता वह परिस्थितियों की देन होता है।
निरालम्ब उपनिषद् प्रेरित कर रहे हैं ऊँची से ऊँची संगत की ओर जहाँ स्थिरता है, निरपेक्षता है और अडिग नेतृत्व है।
मान्ताओं की परत दर परत हटाने का शुद्ध काम आचार्य प्रशांत द्वारा सरलतम तरीके से जीवन को मुक्ति की और ले जाने का एक आसन प्रयत्न इस कोर्स के माध्यम से किया गया है।
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