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स्वयं से प्रेम करने का सही अर्थ

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निरालम्ब उपनिषद् के श्लोक 27 पर आधारित
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1 घंटा 49 मिनट
हिन्दी
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पठन सामग्री
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सहयोग राशि: ₹199 ₹500
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परिचय
लाभ
संरचना

आज के व्यक्ति का मन पहले के मुताबिक उलझा हुआ क्यों है? पिछली पीढ़ी का पूरा ध्यान धर्म की ओर पीठ करके संसाधन जुटाने में लगा रहा। धर्म से वंचित पीढ़ी ने धर्म के नाम पर आज के पढ़े-लिखे युवा को कर्मकाण्ड सिखाने की पूरी कोशिश करी है। न तो आत्मज्ञान है और न ही मन के विकारों से दूरी। जैसे-जैसे मन, आत्मा से दूर होता जा रहा है वैसे-वैसे मन भीतर से पूरी तरह से मानसिक रोगों की चपेट की ओर बढ़ रहा है। आचार्य प्रशांत के माध्यम से आत्म-प्रेम को जागृत करने के लिए कुछ विशेष बातें इस कोर्स में समझायी गयी हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

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