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श्रीकृष्ण

श्रीकृष्ण

समय सापेक्ष और समयातीत
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पुस्तक का विवरण

भाषा
hindi
प्रिंट की लम्बाई
160

विवरण

श्रीकृष्ण गीता में आपसे एक बात कह रहे हैं, वो बात तब भी उपयोगी थी, आज भी उपयोगी है, सदा उपयोगी रहेगी, समयातीत बात है।

लेकिन हमें लगने लग जाता है कि उस समय का जो कुछ था, वो भी समयातीत ही होगा। तो उस समय की जो परिस्थितियाँ थीं, हम उन्हें भी दोहरा देना चाहते हैं। अब श्रीकृष्ण तो रथ पर चलते थे, आप रथ पर चलने लग जाओगे सड़क पर? और मुकुट पहनोगे? और धनुष-बाण लेकर चलोगे?

जब अर्जुन उस अर्जुन जैसा नहीं रहा, तो क्या कृष्ण वैसे ही होंगे जैसे उस समय थे?

गीता नहीं बदलेगी। अर्जुन भी बदलेंगे, कृष्ण भी बदलेंगे; कृष्णत्व नहीं बदलेगा।

अनुक्रमणिका

1. कृष्ण को चुनने दो कि कृष्ण का संदेश कौन सुनेगा 2. जगते में जागे नहीं सोते नहीं सोए, वही जाने कृष्ण को दूजा न कोय 3. तीन मार्ग - ध्यानयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग 4. ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग और कर्ममार्ग – हमारे लिए कौन सा उचित है? 5. तुम ही मीरा, तुम ही कृष्ण 6. जन्माष्टमी कैसे मनाएँ
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