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भागे भला न होएगा [Important Read]

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संत कबीर के दोहों पर
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पुस्तक का विवरण

भाषा
hindi
प्रिंट की लम्बाई
212

विवरण

कबीर साहब जब ज्ञान बताते हैं तो अद्वैत के सबसे बड़े विद्वान हैं और जब वे राम गाते हैं तो सबसे बड़े भक्त हैं। उनकी बातों में बोध की गहराई भी है और साथ ही साथ एक मस्ती, एक दीवानगी भी है।

कबीर साहब को जटिलता ज़रा भी रास नहीं आती। जो बात जैसी देखते हैं वैसी ही कह देते हैं।

वेदान्त के कठिनतम सूत्र, जिनके विषय में बड़े ज्ञानी भी अबूझ मालूम पड़ते हैं, उन्हें कबीर साहब ने सरल साखियों में गा दिया है।

उनकी साखियाँ हैं तो जमीन की भाषा में, पर एक-एक साखी में आकाश समाया हुआ है। उनका मात्र शाब्दिक अर्थ नहीं किया जा सकता।

आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक में कबीर साहब के साखियों में छुपे आत्मिक अर्थों को उ‌द्घाटित किया है

अनुक्रमणिका

1. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर 2. जो वचन आपसे न आए, वही मीठा है 3. मनुष्य जन्म मुक्ति का अवसर है, या मौत की सज़ा? 4. घर जलाना नहीं, घर को रौशन करना 5. भक्ति माने क्या? 6. क्षमा माने क्या?
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