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कठोपनिषद् भाष्य

कठोपनिषद् भाष्य

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पुस्तक का विवरण

भाषा
hindi
प्रिंट की लम्बाई
216

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कठ उपनिषद् उन उपनिषदों की सूची में है जो न केवल सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं बल्कि सर्वाधिक प्रसिद्ध भी हैं। यह कृष्ण यजुर्वेद शाखा से सम्बन्धित है। इस उपनिषद् में उद्दालक के पुत्र नचिकेता और यम के बीच संवाद है जिसे एक कथा के रूप में लिखा गया है।

कथा की शुरुआत होती है ऋषि उद्दालक के सर्वमेध यज्ञ से जिसमें वो ब्राह्मणों को बूढ़ी गायें दान देते हैं। यह बात बालक नचिकेता को अनुचित लगती है और वो जाकर पिता से जिज्ञासा करते हैं, 'हे तात! आप मुझे किसे दान में देंगे?' बार-बार पुत्र से यह प्रश्न सुनकर पिता क्रोधित होकर कहते हैं, 'जा, तुझे मृत्यु को दिया।' यह सुन नचिकेता चुपचाप यम के द्वार चले जाते हैं और बिना कुछ खाये-पिये तीन दिन तक यमराज की प्रतीक्षा करते हैं। यमराज नचिकेता की सरलता और धैर्य से प्रसन्न होकर उन्हें तीन वर माँगने को कहते हैं।

नचिकेता तीन वर के माध्यम से जीवन और मृत्यु से जुड़े कुछ सवालों के जवाब चाहते हैं और इनसे जुड़े रहस्यों को बताने की माँग करते हैं, जिन्हें जानना हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है क्योंकि इन्हीं तीनों वर से उसके कर्तव्य निर्धारित होते हैं।

यह पुस्तक आपकी इस जिज्ञासा का भी उत्तर देती है कि यह कथा हमसे कैसे जुड़ी हुई है और नचिकेता, यमराज और ऋषि उद्दालक किनके प्रतीक हैं।

कठोपनिषद् पर चल रही एक विशेष चर्चा श्रृंखला में आचार्य प्रशांत ने एक-एक श्लोक पर विस्तार से व्याख्या की है, जिनमें से इस पुस्तक में श्लोक 9 तक की व्याख्या को सम्मिलित किया गया है।

अनुक्रमणिका

1. शान्तिपाठ 2. हर बेईमानी अगली बेईमानी को तैयार करती है 3. श्रद्धा तथ्यों का सहर्ष स्वीकार है 4. न सम्बन्ध, न सुरक्षा, सत्य सर्वोपरि 5. अहंकार तो रिश्तों का दुकानदार है 6. सोना, सज्जन, साधुजन, टूट जुड़े सौ बार
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