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संघर्ष [Hardbound]

संघर्ष [Hardbound]

अपने विरुद्ध
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पुस्तक का विवरण

भाषा
hindi
प्रिंट की लम्बाई
250

विवरण

हमारा सारा जीवन संघर्ष में ही बीतता है। बचपन में माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करने का संघर्ष, जवानी में नौकरी के लिए भाग-दौड़ और वृद्धावस्था में अपनी देह को कुछ और वर्षों तक जीवित रखने की चाह। इन बाहरी चीज़ों में हम इतना खो जाते हैं कि अपने भीतर चल रहे द्वंद्व को देख ही नहीं पाते।

जीवन प्रतिपल संघर्ष तो है ही, पर हम यह नहीं जान पाते कि हमारे लिए कौनसा संघर्ष उचित है। और फिर हम छोटी लड़ाइयों में उलझकर बड़ी और महत्वपूर्ण लड़ाई से चूक जाते हैं।

बड़ी लड़ाई वो है जो अपने विरुद्ध की जाती है, असली संघर्ष वो है जो मन के विकारों को हटाने के लिए किया जाता है। जैसे-जैसे हमारा मन सुलझता जाता है, वैसे-वैसे हम बाहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए भी सक्षम होते जाते हैं।

इस पुस्तक में हमें आचार्य प्रशांत से समझने को मिलेगा कि सही संघर्ष कौनसा है, वह क्यों ज़रूरी है और यह कि आनंद तो स्वयं से जूझने में ही है।

अनुक्रमणिका

1. दूसरों के ख़िलाफ़ जाना आसान है, अपने ख़िलाफ़ जाना मुश्किल 2. सब नशे, सारी बेहोशी उतर जाएगी 3. आज दुश्मन छुपा हुआ है 4. प्याज़-लहसुन, और यम-नियम का आचरण 5. भारत ज़्यादातर क्षेत्रों में इतना पीछे क्यों? 6. अपनी योग्यता जाननी हो तो अपनी हस्ती की परीक्षा लो
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