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गुरबाणी [नवीन प्रकाशन]

गुरबाणी [नवीन प्रकाशन]

इक ओंकार सतनाम
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भाषा
hindi

विवरण

सिख पंथ के केन्द्र में गुरुता बैठी है। गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएँ सिख ग्रंथों में संकलित हैं जो हमें एक प्रेमपूर्ण, बोधमय और साहस से भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।

'गुरबाणी' पुस्तक में आचार्य प्रशांत ने गुरुओं की वाणी को मर्म सरल और व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया है।

अनुक्रमणिका

1. मेरे दुखों का क्या इलाज है? (नितनेम साहिब) 2. ज़िन्दगी जीने के दो तरीक़े (नितनेम साहिब) 3. इन्द्रियों के पीछे की इन्द्रिय है मन (अनंदु साहिब) 4. सच्चा रिश्ता सिर्फ़ एक (सोहिला) 5. सिख होने का विनम्र अनूठापन 6. सालाही सालाहि एती सुरति न पाईआ (गुरु ग्रन्थ साहिब)
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