ठरकियों को 'बोल्ड' बोलते हो? (कामुकता निडरता नहीं) || (2021)

Acharya Prashant

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ठरकियों को 'बोल्ड' बोलते हो? (कामुकता निडरता नहीं) || (2021)

प्रश्नकर्ता: सर, आप आज की जनरेशन (पीढ़ी) के तौर-तरीकों का इतना विरोध क्यों करते हैं? हम चाहे बोल्ड कपड़े पहनें या बोल्ड लैंग्वेज (भाषा) यूज़ (इस्तेमाल) करें, हममें कम-से-कम बोल्डनेस तो है।

आचार्य प्रशांत: मतलब कपड़े उतार कर कोई घूम रहा है तो वो बोल्ड हो गया? और कोई गाली-गलौज कर रहा है तो वो बोल्ड हो गया? बोल्ड माने क्या? निर्भय, है न? हिम्मतवर, निडर।

डर समझती हो? डर हम अपने शरीर में जन्म के साथ लेकर पैदा होते हैं। वो डर हमसे बार-बार बोल रहा होता है कि वही सब-कुछ करो जो तुमसे तुम्हारा शरीर करवा रहा है और जो तुमसे तुम्हारा समाज करवा रहा है।

जो भीतर हमारे डर बैठा है वो हमसे ये कहता है कि वही सब कुछ करो जो तुमसे तुम्हारा शरीर करवा रहा है। शरीर क्या करवा रहा है? शरीर कहता है — खाओ, पियो, आराम करो, सेक्स करो। और वो सब कुछ करो जो तुमसे तुम्हारा समाज करवा रहा है। समाज क्या करवा रहा है? समाज कह रहा है — इस तरह की बोली बोलो, इस तरह की शिक्षा लो, इन जगहों पर घूमने जाओ, ऐसे कपड़े पहन लो। ये सब समाज करवा रहा है हमसे।

तो एक डर होता है जो हम सबके भीतर होता है और जन्म से ही होता है और वो हमसे कहता है — शरीर के ख़िलाफ़ मत जाना, समाज के ख़िलाफ़ मत जाना।

तो अब बताओ फिर कि बोल्डनेस की डेफिनिशन (परिभाषा) क्या हुई? बोल्डनेस माने क्या हुआ? बोल्डनेस माने हुआ शरीर जो तुमसे करवाना चाहता है वो अंधे होकर कर नहीं देना — ये हुई निडरता, बोल्डनेस * । और * बोल्डनेस ये हुई कि दुनिया जो कुछ कर रही है अंधे होकर के वही नहीं करने लग जाना है उनके पीछे-पीछे, कि सब ऐसे ही पहनते हैं तो हम भी ऐसे ही पहनेंगे। सब ऐसे खाते हैं तो हम भी ऐसे ही खाएँगे। सब इस तरीके का कैरियर चुन रहे हैं तो हम भी चुनेंगे। सब ऐसी भाषा बोलते हैं तो हम भी बोलेंगे।

जो अपनी टेंडेंसीज (वृत्तियों) का विरोध कर सके, अपने भीतर जो वृत्तियाँ होती हैं न, टेंडेंसीज़ , जो उनका विरोध कर सके वो बोल्ड हुआ। और जो सोसाइटी , समाज के फालतू चलन का और दबाव का विरोध कर सके वो बोल्ड हुआ।

आप जो ज़्यादातर काम करते हो न वो आप टेंडेंसीज़ का विरोध करते हुए नहीं करते, वो आप टेंडेंसीज़ के आगे सर झुकाते हुए करते हो, तो आप बोल्ड नहीं हो, आप बहुत डरे हुए हो। और ये बड़े मज़ाक की बात है कि जो काम तुम डर-डर के कर रहे हो उसको तुम कह रहे हो — ये मेरी बोल्डनेस है।

एक सवाल पूछ लेता हूँ — तुम्हारी हिम्मत है वो भाषा न बोलने की जो तुम्हारे दोस्त यार बोल रहे हैं, जो तुम्हारा पियर सर्कल बोल रहा है? तुम्हारी हिम्मत है क्या? तुम्हारे फ्रेंड सर्किल में एक तरह की भाषा चलती है मान लो, स्लैंग (अशिष्ट) बोल लो या जो भी बोलो उसको। हो सकता है उसमें से कुछ चीज़ें तुम्हें पसंद ना हों पर तुम पाओगे कि तुम्हें डर लगेगा अलग तरह की भाषा बोलने में। तो फिर बोल्डनेस क्या हुई? वही भाषा बोलना जो तुम्हारे दोस्त यार और इर्द-गिर्द वाले बोल रहे हैं या वो बोलना जो तुम्हें सही लगता है?

इसी तरीके से तुमने लिखा है कि, "कपड़े हम जो भी पहनें।" अक्सर जो नंगा होता जाता है उसको हम लिख देते हैं कि ये तो बोल्ड कपड़ों में आया है। उसमें बोल्डनेस क्या है? फिर तो सबसे बोल्ड जानवर हुए। एक गधा सड़क पर चला जा रहा होगा वो तो बोल्डनेस की प्रतिमूर्ति हो गया। उसे बोल्डनेस का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए। उसने ज़िंदगी में कोई कपड़ा कभी नहीं पहना।

ये सब जो मॉडल्स और एक्ट्रेसेस (अभिनेत्रियाँ) कहती हैं कि, "हम बहुत बोल्ड हैं क्योंकि हमने बिकनी पहन रखी है।" इन्होंने कुछ तो पहन रखा है अभी, एक गधी को ले आओ उसने तो कुछ भी नहीं पहन रखा। वो तो सुपर बोल्ड हो गई, हाइपर बोल्ड हो गई, क्लीन बोल्ड हो गई।

तो ग़लत जगह पर ग़लत शब्द का इस्तेमाल ख़ुद को धोखा देने की साज़िश होता है। तुम काम कर रहे हो डर-डरकर और उसको बोल रहे हो — बोल्डनेस , ये तुम किसको बेवकूफ बना रहे हो? अपने-आपको ही न? ताकि ये बात तुमसे ही छुपी रह जाए कि तुम कितने डरे हुए हो।

और तुम्हारी जनरेशन (पीढ़ी), जिसके बारे में तुमने कहा कि, "हम बड़े बोल्ड हैं!" तुम्हारी जनरेशन से ज़्यादा डरी हुई जनरेशन आज तक हुई नहीं है। और ये मैं नहीं बोल रहा हूँ, ये तुम चले जाओ किसी भी साइकोलॉजिस्ट (मनोचिकित्सक) के पास, वो तुमको बता देगा।

डर से संबंधित जितनी मानसिक बीमारियाँ होती हैं वो आज की पीढ़ी में सबसे ज़्यादा हैं। तुम्हें क्या लग रहा है, डर का रिश्ता एंग्ज़ाइटी (चिंता) से नहीं है, डिप्रेशन (अवसाद) से नहीं है, ओसीडी (ऑवसेसिव कम्पल्सिव डिसॉर्डर) से नहीं है? और तुम्हें नहीं पता कि इनके मामले आज कई गुना ज़्यादा हैं पचास साल पहले की अपेक्षा? और तुर्रा ये कि कह रहे हो कि, "हम तो बोल्ड हैं!"

जानते हो हिंदुस्तान में महावीर किसको बोला गया? महा-बोल्ड , महावीर, किसको बोला गया? जो अपनी टेंडेंसीज़ से लड़ पाया। वो कहीं और किसी को मारने-पीटने नहीं गए थे। और एक मज़ेदार बात सुनो — कपड़े उन्होंने भी सारे उतार दिए थे लेकिन इसलिए नहीं कि अच्छी फोटो खींचकर के इंस्टाग्राम पर डालेंगे।

तुम जिसको बोल्डनेस बोलती हो, उस नंगई में और महावीर की नग्नता में ज़मीन आसमान का अंतर है। वहाँ बोल्डनेस थी, यहाँ नहीं है। यहाँ तो तुम फोटो भी खिंचाते हो तो उसको फिर सौ बार देखते हैं कि लग कैसी रही है। लग कैसी रही है? एक फोटो पब्लिश कर सको उसके लिए पहले पचास खिंचवाते हो, डरे हुए नहीं हो क्या? ये डर ही तो है कि, "कहीं मेरी थोड़ी आड़ी-तिरछी फोटो ना चली जाए।"

“अरे! इस फोटो में लाइट कम है, अरे! इस फोटो में मेरा थोड़ा-सा पेट दिख रहा है ज़्यादा, मैं मोटी लग रही हूँ” — ये डर नहीं है? तो बोल्डनेस का असली मतलब समझो। जो ज़िंदगी को समझ सके और समझने के बाद जो करने लायक हो वही करने की हिम्मत दिखाए, भले ही उसमें कितना नुकसान होता हो, कितनी भी कीमत चुकानी पड़ती हो, सिर्फ वो बोल्ड है। जो चीज़ दिखाई दे जाए कि झूठी है, करने लायक नहीं है उससे इंकार कर दे, भले ही उसके लिए कितनी भी सज़ा मिले सिर्फ वो बोल्ड है। ये कपड़े उतार देने से बोल्ड नहीं हो जाते, कपड़े उतार देने से बस नंगे हो जाते हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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